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________________ 60 आधुनिक हिन्दी-जैन साहित्य मूल राजस्थान के लेकिन बहुत वर्षों से गुजरात के पाटण-नगर के निवासी जिनहर्ष कवि ने 'श्रेणिक चरित्र' और 'कृषिदत्त चौपाई' की छन्दबद्ध रचना की थी। पाटण में अनेक वर्ष रहने से उनकी कृतियों में गुजराती भाषा का प्रभाव लक्षित होना स्वाभाविक है। उनके एक पद का आदि-अंत भाग देखने से यह स्पष्ट होगाआदि-'अष्टापद श्री आदि जिनंद, चंपा वासुपूज्य, पावामुगति गया महावीर। अधरनेमि गिरनार सधीर।' अंत-‘उत्तम नमतां लहिए पार, गुण गुहना लहिए निस्तार। जाई ने दूर कर्मनी काढ़े, कहें जिनहर्ष नमूं करजोरि॥' जिनहर्ष जी ने 50 साल से भी अधिक समय साहित्य सेवा में व्यतीत किया। उनके पदों, स्तवनों, सज्जायों का संग्रह 'जिनहर्ष ग्रन्थावली' नाम से श्रीयुत अगरचन्द नाहटा ने किया है। पाटण के ग्रन्थागारों से उपलब्ध करके उनकी छोटी-बड़ी 500 पद्य रचनाओं का संग्रह नाहटा जी ने तैयार किया है। 'कवि की बड़ी-बड़ी रचनाओं में कुछ रास ही अभी तक प्रकाशित हो सके हैं, बहुत से रास अभी अप्रकाशित हैं, जिनके प्रकाशित होने पर ही कवि के साहित्यिक कर्तृत्व के सम्बन्ध में प्रकाश डाला जा सकता है।" इनकी भाषा के सम्बन्ध में मनोहर शर्मा लिखते हैं-"कवि जिनहर्ष की भाषा सुललित प्रसादगुण संपन्न एवं परिमार्जित है। सरस्वती का कवि को यह वरदान है। कवि ने जन्म भर सरस्वती की उपासना की है। और प्रायः उनकी सभी रचनाएं वंदान-पूर्वक प्रारम्भ हुई हैं। " नाहटाजी ने कवि जिन हर्ष की रचनाओं में बावनी, उपदेश छत्तीसी, उपदेश चौबीसी, नेमिराजमती बारहमासा, सवैया, नेमिबारहमासा, सिद्धचक्र स्तवन, पार्श्वनाथ निवाणी, श्रेणिक चरित्र, कृषिदत्ता चौपाई, और मंगल गीत का उल्लेख किया है। जिनहर्ष की कृतियों का 'जैन गुर्जर कवियों' और 'राजस्थान में हिन्दी के हस्तलिखित ग्रन्थों की खोज-भाग-4' में भी उल्लेख किया गया है। नाहटा जी ने भी 'ऐतिहासिक हिन्दी जैन काव्य' में उनकी रचनाओं का संग्रह किया है। __संवत् 1761 में श्री खेमचन्द जी ने 'गुणमाला चोपाई' नामक ग्रन्थ की रचना की थी। गुजरात की ओर रहने से भाषा पर गुजराती शब्दों का प्रभाव आ गया है। जैसे1. श्री अमृत अगरचन्द नाहटा-जिनहर्ष ग्रंथावली-प्राक्लन, पृ० 3 प्रथम संस्करण। 2. श्री मनोहर शर्मा-जिनहर्ष ग्रन्थावली-भूमिका, पृ. 7.
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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