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________________ आधुनिक हिन्दी जैन साहित्य : पूर्व-पीठिका 43 चेतन चित्त परिचय बिना, जप तप सवे निरत्थ। कन बिन तुस बिमि फटकतें, आवे कछु न हाय॥ कवि चेतन-जगत की सहाय के बिना किये गये जप-तप को वृथा समझते हैं। कवि की वाणी में संत की सच्चाई एवं लोक-व्यवहार का ज्ञान भी भरा पड़ा है, अब कवि कहते हैं भ्रम तें मूल्यो अपनपो,खोजत किन घट मांहि। बिसरी वस्तु न कर चढ़े, जो देखें घर चाहि॥ 'गीत परमार्थी' भी उन्हीं की रचना बतलाई गई है। प्रेमी जी को उनके बहुत से फुटकल पद मिलते हैं। इनकी कविता में भावपूर्ण प्रवाह निरन्तर बहता रहता है। कवि सदगुरु की स्तुति करते हुए कहते हैं चेतन! अचरज भारी, यह मेरे जिय आवे, अमृत वचन हितकारी, सदगुरु तुहिं पठावें। सदगुरु तुमहि पठावे चित दे, अरू तुमहूं हो ज्ञानी, तब हूं तुमहिं न कबों हूं अबो, चेतन तत्व कहानी॥ इनका लिखा हुआ 'मंगलगीत प्रबन्ध' जैन समाज में 'पंचमंगल' के नाम से अत्यन्त लोकप्रिय है, जो आज भी नित्य-प्रति जैन मंदिरों में गाया जाता है। इसमें तीर्थंकरों के पंच-कल्याण महोत्सव सम्बंधी स्तुति-वंदना की गई है। पं० नाथूराम जी का अनुमान है कि वे किसी भट्टारक के शिष्य थे। उनकी पाण्डे संज्ञा भी इसी अनुमान का समर्थन करती है, क्योंकि उस समय भट्टारकों के शिष्य पाण्डे कहलाते थे। प्रेमसागर जैन ने इनकी अन्य रचनाओं में 'परमार्थी दोहाशतक', 'नेमिनाथ रासा' और 'सटोलागीत' का उल्लेख किया है। वैसे रूपचन्द नाम के चार कवि मिलते हैं लेकिन पं. बनारसीदास के अभिन्न मित्र और उनके साथ बैठकर अध्यात्म की चर्चा करने वाले ही प्रधान पाण्डे रूपचन्द जी उपर्युक्त ग्रन्थों के रचयिता हैं। संवत् 1670 में कवि नंदलाल नाम के बड़े कवि हुए, जिनके गुरु भट्टारक त्रिभुवन कीर्ति बहुत प्रख्यात थे। नंदलाल जी ने तीन ग्रन्थ लिखे थे-यशोधर चरित, सुदर्शन चरित और गूढविनोद। 'यशोधर चरित' की कथावस्तु बहुत प्राचीन है, क्योंकि अपभ्रंश काल से नंदलाल तक कितनों ने इसी कथावस्तु पर ग्रन्थ निर्माण किया है। इस ग्रन्थ की विशेषता भाषा की प्रासादिकता एवं गतिशीलता में है। काव्यत्व की दृष्टि से इसमें 1. पं. नाथूराम प्रेमी-हिन्दी जैन साहित्य का संक्षिप्त इतिहास, पृ. 78. 2. डा. प्रेमसागर जैन-हिन्दी जैन भक्तिकाव्य और कवि, पृ. 169.
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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