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________________ षष्ठम अध्याय आधुनिक हिन्दी-जैन-काव्य का कला-सौष्ठव साहित्य तथा काव्य का अंतरंग उसका भाव पक्ष है और बहिरंग कला पक्ष। दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं, दोनों का सम्बंध अविभाज्य है। बहिरंग काव्य के अन्तरंग को ललित, सुचारु बनाकर शोभा प्रदान करता है, तो अन्तरंग कलापक्ष या बहिरंग को सार्थकता प्रदान करता है। काव्य के सम्बंध में एक प्राचीन रूपक प्रसिद्ध है, जिसमें कविता की तुलना लावण्यमयी युवती से की गई है कि शब्दार्थ जिसका शरीर है, अलंकार आभूषण है, रीति अवयवों का गठन है, गुण स्वभाव और रस आत्मा है। इस रूपक में शरीरस्थ आत्मा की तरह रस को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है। काव्य के बाह्यरंग छन्द (वृत्त) शब्दार्थ (भाषा) अलंकार, व गुण रीति है। काव्य का अन्तरंग भावना, कल्पना और विचार के अन्तर्भाव से निर्मित होता है। इसीलिए तो 'शब्दार्थो काव्यम्' भी कहा गया है। किसी भी उच्च साहित्य के लिए भाव पक्ष के साथ कला पक्ष का भी महत्व रहता है। क्योंकि यदि भाव पक्ष को काव्य की आत्मा कहा जाय तो कला पक्ष उन भावों की सुन्दर प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए सहायक शरीर रूप है, भाव पक्ष मनोहारी मूर्ति तो कला पक्ष मूर्ति को प्रस्थापित करने वाला आकर्षक मन्दिर। उत्कृष्ट तीव्र भावों को उच्च कला पक्ष ही यथोचित रूप से अभिव्यक्त कर पाता है। मनुष्य की आत्मा के लिए जितना शरीर का महत्व है, साहित्य में भावरूपी आत्मा को आधार देने के लिए कला रूपी शरीर का महत्व है। कुछ रसिक जन तो कला तत्त्व को काव्य में अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं, लेकिन वास्तव में साहित्य में अन्तरंग सौंदर्य का बाह्य सौंदर्य से विशेष प्रदेय महत्व है। वास्तव में काव्य में सौन्दर्य व भावानुभूति की मार्मिक प्रतीति बहिरंग व अन्तरंग के योग्य समन्वय से ही निष्पक्ष होती है। काव्य के विविध अंग परस्पर पूरक हैं तथा इनके समग्रगत प्रभाव से ही रस निष्पत्ति संभव हो पाती है। क्योंकि-'शब्द और अर्थ के इस साहित्य में शब्द काव्य का रूप है और अर्थ अथवा भाव काव्य का तत्त्व है। काव्य में शब्द और अर्थ का अनन्य भाव से समन्वय होता है। यथार्थ ही कहा गया है कि-"कला पक्ष को बहुधा भाव पक्ष से स्वतंत्र 1. डा. रामानंद तिवारी-काव्य का स्वरूप, पृ० 88.
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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