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________________ आधुनिक हिन्दी जैन काव्य : विवेचन 247 प्रारंभ में गद्य में छोटी-छोटी कथाओं में धार्मिक उपदेश है और बाद में कवि के रचित स्तवनों के पद है। जिनमें विविध राग-रागिनियों का प्रयोग किया है। जैसे-आशावरी, बिलाबल, विहाग, कान्हड़ आदि। विचार चन्द्रोदय श्री पीतांबर ने ई. सन् 1909 में उसकी रचना की थी जो गद्य-पद्य मिश्रित है। छोटी-छोटी कथाओं के माध्यम से साहित्यिक ढंग से धार्मिक चर्चा के बीच-बीच में मननाह रोला विविध छन्दों में कविताएँ लिखी गई हैं। इसमें कवि ने भक्तिभाव पूर्वक गुरु वंदना पद्य में की है। ____ मुनि रूपचन्द्र जी के आधुनिक काव्यों का संग्रह 'अन्धा चाँद' प्रकाशित हुआ है। मुनि रूपचन्द जी हिन्दी जैन साहित्कारों में उच्च स्थान के अधिकारी विद्वान लेखक हैं। 'अन्द्या चान्द' में उनकी नवीन प्रवृत्ति व सुन्दर मानवतावादी विचारधारा से युक्त 58 कविताएँ संग्रहीत की गई हैं। जिनमें पूनम की रात, खेत की मुंडेर से उठता हुआ, कभी गीतों से ही प्यार था, मैं सुनी-सी रात, चरती का लाडला, धूल में लिपटे, माँ कृपा करो। मंदिर के पुजारी ने जब, मैं जला, युगसन्त, मनुज के भोलेपन काश, मिलकी चिमनी, एक विचार, बूंद ने, खोखले बांस में आदि आधुनिक विचारधारा से ओतप्रोत कविताएँ हैं। कवि ने इन्हें 'स्वान्तः' के लिए रचा है। 'झरोखे में बैठा कबूतर' में कवि आधुनिक इंसानियत के विषय में व्यंग्य प्रहार करते हैं झरोखे में बैठ उदास कबूतर, भीगी पलकों से कभी बाहर झांकता है, कभी भीतर झांकता है। वह सोच रहा है, कि आदमियत वह चीज है, जो उजड़े हुए को बसाना जानती है, उन्हें सीधी-सी पगडण्डी बताना अपना फर्ज मानती है, लेकिन आज जो आदमी है, वह आदमियत नहीं चाहता, खुद तो उजड़ा हुआ है ही, औरों को बसता हुआ भी देखना नहीं चाहता। धरती खिसकती जा रही है, आकाश भागा जा रहा है। (पृ. 8) पता नहीं मानव की बुद्धि को क्या हो गया है, कि उसके हर एक कार्य में, सच्चाई कम है और नकलबाजी ज्यादा है, किन्तु जब तक इंसान के दिल में करुणा है,
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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