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आधुनिक हिन्दी-जैन साहित्य
वीरेन्द्रकुमार की 'वीरवंदना, चंद्रप्रभा देवी की 'रणभेरी' कमला देवी की 'रोटी' आदि कविताओं का समावेश किया जा सकता है। जिनमें वर्णन के साथ भावात्मकता का भी पूर्ण रूप से निर्वाह किया गया है। भावात्मक कविताएँ कवि के अंत:स्थल से उठनेवाली मार्मिक अनुभूति से अनुरंजित होती हैं, जिसमें कवि सांसारिकता से ऊपर उठकर भावजगत में विचरण करते हैं। आधुनिक जैन कवियों में पूर्णतया भावात्मक कविताएँ लिखनेवाले बहुत कम कवि हैं। फिर भी कुछ कवि ऐसे हैं, जिनकी रचनाओं में विविध भावों की तीव्रतम अभिव्यक्ति दिखाई देती है। ऐसे कवियों में जुगलकिशोर की 'मेरी भावना', कवि चैन सुखदास की 'जीवनघट', कवि सत्यभक्त की 'झरना' कवि कल्याणकुमार की 'विद्युत् जीवन, लक्ष्मीचंद्र विशागत की 'आँसू से' और 'चित्रकार से', अक्षयकुमार गंगवाल की 'हलचल' आदि प्रमुख कविताएँ हैं। कवि बुखारिया और कवि पुष्कर भावात्मक काव्य क्षेत्र के महत्वपूर्ण कवि हैं।
मनुष्य की रागात्मक वृत्ति को विशेष रूप से झंकृत करके कल्पना शक्ति द्वारा भावो की अनुभूति कराने में उत्तम काव्य, जैन कविता की कोटि में आ सकते हैं और आधुनिक जैन कवियों में गद्यात्मक रसप्रद काव्य लिखनेवालों में कुंथुकुमारी, प्रेमलता कौमुदी, कमलादेवी, पुष्पलता देवी, कवि अनुज 'पुष्पेन्दु' रतन गंगवाल, बुखारीयाजी आदि को अच्छी सफलता प्राप्त हुई है। उनके काव्यों में भावनाओं की लयबद्ध व मार्मिक अभिव्यक्ति हुई है। आचारात्मक कविताएँ जैन धर्म की विविध कविताओं में प्रकाशित होती रहती हैं। इनमें आचार-सिद्धान्तों का महत्व और वर्णन विशेष होता है, जबकि काव्यत्व बहुत ही कम रहता है। वृत्तात्मक रचनाओं में कवि गुणभद्र अगास की 'प्रद्युम्न चरित्र', 'राम वनवास', तथा 'कुमारी अनंतमती' कविताएँ साधारण कोटि की हैं। इनमें काव्यत्व की मात्रा कम और पौराणिकता, इतिवृत्तात्मकता अधिक है। कवि मूलचंद वत्सल के 'वीर पंचरत्न' में पाँच वीर बालकों का चरित्र वृत्त अंकित है। इनके उपरांत कवि कल्याण कुमार 'शशि' का 'देवगढ़ काव्य' भी इसी कोटि में गिना जायेगा।
रमारानी ने काल क्रमानुसार कवियों का विभाजन किया है और इन्हीं कवियों की कविताओं का विश्लेषण डॉ. नेमिचन्द्र जैन ने आधुनिक युगीन मुक्तक के कवियों को तीन काल खण्ड में समाविष्ट कर लिया है। अन्य किसी मुक्तक काव्य-संग्रह परिचय वहाँ उपलब्ध नहीं होता है।
___पंडित परमेष्ठी दास का 'परमेष्ठी पद्यावली' नाम से काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ है। जो आजकल अनुपलब्ध है। उनकी ये रचनाएँ धार्मिक