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________________ आधुनिक हिन्दी जैन काव्य : विवेचन 239 उन्मुख किया, उसने समाज-मन को नया जीवन और साहित्य को नया स्वर दिया है।" दूसरे विभाग में उन्होंने 'युगानुगामी' कवियों की कविताओं का समायोजन किया है, जिसमें पं. जैनसुखदास 'कविरत्न', पं. दरबारीलाल 'सत्य भक्त' पं० नाथूराम डोंगरीय, सूर्यभानु डोंगी, श्री ददूलाल, पं. शोभाचन्द्र न्यायतीर्थ की कविताएँ हैं। इनके विषय में श्रीमति रमादेवी लिखती हैं-'युगानुगामी' कवियों में हमारे समाज के अनेक मान्य विद्वान सम्पादक और विचारक हैं, जो हमारी प्राचीन संस्कृति के संरक्षण में लगे हुए हैं, और वे निःसन्देह युगारंभ की नई प्रेरणा को साहित्य और समाज सुधार के क्षेत्र में परीक्षण के द्वारा आगे ले जाने वाले हैं। इस समुदाय के कवियों की कविताओं में यह वैशिष्ट्य है कि वे प्रधानतः कर्ममूलक, दार्शनिक या सुधारवादी हैं। तीसरे विभाग में वे 'प्रगति प्रेरक' कवियों की कविताओं को समाविष्ट हुए हैं। उन पर अपने समय की राजकीय व साहित्यिक गतिविधियों का प्रभाव स्पष्टतः 'भगवत', श्री लक्ष्मीचन्द्र जैन, श्री शांतिस्वरूप 'कुसुम', श्री हुकुमचन्द्र बुखारिया, श्री कपूरचन्द्र 'इन्दु' श्री ईश्वरलाल, लक्ष्मणप्रसाद 'प्रशान्त', राजेन्द्र कुमार, अमृतलाल 'अंचल', श्री खूबचन्द्र 'पुष्कल', श्री पन्नालाल 'बसन्त', श्री चंपालाल 'पुरन्थ' आदि 42 हैं। वे सभी नयी पीढ़ी के कवि हैं। मातृभूमि की परतन्त्रता से व्याकुल होने से स्वतंत्रता के गीत गाते हैं, जनता को चेतावनी देते हैं, जगाते हैं। समय की पुकार व माँगों से वे प्रभावित होकर गा उठते हैं। चाहे विषय किसी भी प्रकार का क्यों न हो, युग-प्रवाह के कवि युग-प्रवर्तक की तरह आदर्श जीवन व व्यवहार के लिए प्रत्यक्ष उपदेश या सन्देश नहीं देते। 'युग-प्रवाह' के कवि केवल परिस्थिति का वर्णन करते हैं-धार्मिक, ऐतिहासिक व राष्ट्रीय परिस्थितियों के वर्णनों द्वारा वे जागना चाहते हैं। इस प्रकार के कवियों के विषय में संपादिका का मानना है कि-कविता की दृष्टि से तीसरा परिच्छेद 'प्रगति-प्रवर्तक' बढ़ गये हैं, जिन्होंने हिन्दी कविता प्रचलित शैलियों को अपनाकर कविता को भाव, भाषा और विषय की दृष्टि से प्रगति की श्रेणी में ला दिया है। इनमें से अनेक कवियों को हमारे साहित्य में प्रगति के महारथियों के रूप में स्मरण किया जायेगा, ऐसा मेरा विश्वास है। 1. देखिए-रमारानी जैन-'आधुनिक हिन्दी जैन कवि'-प्राक्कथन, पृ० 3. 2. देखिए-रमारानी जैन-'आधुनिक हिन्दी जैन कवि'-प्राक्कथन, पृ० 4. 3. देखिए-रमारानी जैन-'आधुनिक हिन्दी जैन कवि'-प्राक्कथन, पृ० 5.
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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