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आधुनिक हिन्दी जैन काव्य : विवेचन
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हृदयोर्मि एवं भावुकता, रोमांच, मुग्धता, विनम्रता आदि का रसमय वेदना और उसके आत्म समर्पण का कवि ने अच्छा वर्णन किया है। स्थायी प्रेम-बंधन के निकट पहुँचते ही परिस्थिति की विषमता स्वरूप अघटित घटना के कारण राजुल का आराध्य जब उसे छोड़ चल देता है, तो वह इस आघात से उत्पन्न तीव्र भावों का कृत्रिम संकोच या दमन न कर प्राकृति न रूप से धड़ाम से 'हाय' करके गिर पड़ती है। उस समय उसकी विविध भावानुभूतियों का हृदय द्रावक वर्णन किया गया है। नेमिकुमार के अचानक त्याग के समय तो राजुल को क्रोध, मूर्छा, अपमान, उदासीनता आदि की विविध अनुभूतियाँ होती हैं। वह अपने भाग्य को कोसती है, अपनी विवशता पर उपालंभ देती है, लेकिन बाद में त्वरित मति-गति से सोच-विचार कर संसार-त्याग का दृढ़ निश्चय करती है। वह निश्चय राजुल के उत्कट त्याग, अद्भुत प्रेम एवं अनोखी कल्याण-भावना के चमकीले रंग से दीपित हो उठता है। उसके माता-पिता व सखी-स्नेहीजन उसे निष्ठुर प्रेमी से बिमुख होने के लिए युक्तियों से समझाते-बुझाते हैं, लेकिन राजुल को उसके पवित्र दृढ़-संकल्प से हटाने में वे पूर्ण असफल रहते हैं। राजुल अपनी सखियों को कितना उदात्त उत्तर देती हैं:
वे मेरे फिर मिले मुझे, खोलूँगी कण-कण में
अब नेमिकुमार के प्रति उसका उदात्त अनुराग व्यक्ति तक सीमित न रहकर कण-कण में व्याप्त होकर ऊर्ध्वगामी हो चुका है। उसकी दशा उत्तरोत्तर बिगड़ती ही चलती है। कभी वह विक्षिप्त-सी चेष्टा करती है, कभी प्रलाप करती है, कभी कोसती है, तो कभी आत्म-विस्मृत हो जाती है, तो फिर कभी अपनी ग्लानि व असमर्थता से कह उठती हैं
अब न रही सुखद वृत्तियां, शेष बची है मधुर स्मृतियाँ, उन्हें छिपा हृदयस्थल में अपना जीवन जीना होगा।
अनन्तर उसकी विरह-वेदना त्याग व तपस्या के दृढ़ निश्चय में परिवर्तित हो जाती है। वह भी नेमिकुमार के पथ पर प्रयास कर आत्म-विकास के लिए संसार-त्यागने के लिए उद्यत हो जाती है। काव्य नायिका राजुल व नायक नेमिकुमार के चरित्र में आत्म-कल्याण के साथ कल्याण की भावना विद्यमान है, जो आज के भौतिक युग में सुख-वैभव के पीछे ऊँची दौड़ लगाने वाले युवक-युवतियों को अवश्य प्रेरणा देकर कर्त्तव्य बोध करा सकती है। कवि ने उदात्त पात्रों को लेकर उनके जीवन की सर्वोत्तम उदात्त घटनाओं से खण्ड काव्य में सुन्दर भावों की सृष्टि खड़ी कर भोग के संमुख त्याग, राग के सम्मुख विराग व आत्म कल्याण के साथ विश्व-कल्याण की महती विचारधारा का आदर्श प्रस्तुत किया है।