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चतुर्थ अध्याय : 'आधुनिक हिन्दी जैन काव्य : विवेचन'
महाकाव्य, खण्डकाव्य एवं मुक्तक के प्रमुख तत्त्व व अंतर-उपलब्ध महाकाव्य की कथा-वस्तु, चरित्र-चित्रण, रस, प्रकृति-चित्रण, दार्शनिकता व सर्गबद्धता-उपलब्ध खण्ड काव्यों का विषय वस्तु-विवेचन-मुक्तक रचनाओं का विषय-वस्तु परक विवेचन-निष्कर्ष। पञ्चम अध्याय : 'आधुनिक हिन्दी-जैन-गद्य साहित्य :
विधाएँ और विषय-वस्तु पद्य व गद्य का आधुनिक युग में प्रभाव-गद्य का प्रसार-हिन्दी जैन गद्य साहित्य की विभिन्न विधाएं-उपन्यास और कथा का अन्तर, प्रमुख तत्त्व व प्रमुख रचनाओं का विवेचन, नाटक साहित्य, निबन्ध-साहित्य, जीवनी- आत्मकथा व
संस्मरण-रचनाओं का विवेचन निष्कर्ष। षष्ठम अध्याय : 'आधुनिक हिन्दी-जैन-काव्य का कला
सौष्ठव पद्य-साहित्य के अन्तर्बाह्य तत्त्व में बाह्य तत्त्व रूप कला पक्ष-के प्रमुख तत्त्वों का विवेचन-भाषा, अलंकार, छन्द आदि के परिप्रेक्ष्य में उपलब्ध काव्य-साहित्य की भाषा
अलंकार, छन्द आदि का स्वरूप।. सप्तम अध्याय : 'आधुनिक हिन्दी-जैन-गद्य-साहित्य का
शिल्प-विधान' गद्य की चुस्तता के लिए आवश्यक तत्त्व-उपन्यास, कहानी, नाटक-साहित्य संवाद, भाषा-शैली, वातावरण, उद्देश्य, निबन्ध-जीवनी, आत्म-कथा आदि विधाओं की रचनाओं
का भाषा-शैली विषयक विवेचन-निष्कर्ष। उपसंहार
आधुनिक हिन्दी-जैन-साहित्य की उपलब्धियां, सीमाएं, आधुनिक युग के सन्दर्भ में इस साहित्य का महत्त्व एवं 1970 के बाद जैन-साहित्य की परिस्थिति। परिशिष्ठ-(क) सन्दर्भ और आधार ग्रन्थों की सूची परिशिष्ठ-(ख) इंगलिश, संस्कृत और गुजराती
___-संदर्भ ग्रन्थ परिशिष्ठ-(ग) पत्र-पत्रिकाएं
441-516
517-523
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