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________________ आधुनिक हिन्दी - जैन साहित्य 'द्वय सहस्त्र में शुभ पंच वर्षे, अनूप मास अषाढ़ की । द्वितीया तिथि शुक्ला मनोहर, मांगलिक हालार की ॥ शुभ वार शुक्रे श्री विनेश्चर, वीर का अवतार की मंगल कथा मूलदास कहि, कुछ क्षमा भंडार की ।।' अर्थात् विक्रम संवत दो हजार पाँच में अषाढ़ शुक्ला द्वितीया शुक्रवार के दिन हालार प्रान्त के जामनगर की मंगलभूमि पर इस पवित्र ग्रन्थ की रचना कवि ने श्री महावीर जीवन वृतान्त को लोकप्रिय बनाने के लिए की थी। - 'वीरायण' महाकाव्य उदात्त चरित नायक भगवान महावीर की जीवनी को आबद्ध करके रचा गया है। उसको उत्कृष्ट कोटि का महाकाव्य न स्वीकृत किया जाय तो भी महाकाव्य के नियमों का पालन अवश्य किया गया है। जैन प्रबन्ध काव्य में यत्र-तत्र कमियां या शिथिलता रह गई हैं, फिर भी अहिन्दीभाषी कवि के द्वारा लिखी जाने से उसका महत्वपूर्ण स्थान आधुनिक हिन्दी जैन साहित्य में रहेगा ही । कवि स्वयं महाकाव्य में रह गये दोषों को तथा अपनी लघुता को स्वीकार करते हैं-वैसे यह स्वीकृति उनकी विनम्रता ही कही जायेगी - कवि अपनी अल्पता के संदर्भ में कहते हैं 192 महावीर महिमा अमित, मोसे कहा न जाय । क्षुद्र द्वीप में ज्यों कभी, महोदधि न भवाय ॥ 1-6।। प्रभा पंतगन की कहाँ, कहाँ ज्योति घर ज्योत । शशी साम्य क्यूं कर लहे, उड्डगन उदित बहोत । 1-19॥ अपनी गलतियों के लिए क्षमा प्रार्थना करते हुए गुरु कृपा से ही यथाशक्ति वर्द्धमान-कथाकाव्य लिखने के संदर्भ कवि कहते हैं जनम, जगन, संयम, ग्रहन वर्द्धमान इतिहास | गुरुवर का हूँ तो कहें प्रेम सहित मूलदास | 3-467।। कवि स्वीकार करते हैं यह दया संत सुजान के प्रोत्साहन से खास । वीर जीवन कुछ वर्णन, यथामति मूलदास। 3-467।। कवि को कविजन कहलाने की कोई महत्त्वाकांक्षा नहीं हैछन्द-प्रबन्ध भाव रस भेदो - कवित्त रीत कुछ नहि को कहेता। इनका है अफसोस न मन में, मल गिनहूं न मोहि कवि जन में | 7-339।। 1. द्रष्टव्य - कवि मूलदास कृत - 'वीरायण' महाकाव्य, सप्तम काण्ड, 342 पृ० 704. सर्वत्र कवि के रचित दोहों के उद्धरण अक्षरशः लिखे गये हैं। कवि अहिन्दीभाषी एवं विशेष सुपाठित नहीं होने से छंद-भंग एवं मात्रा - दोषों की त्रुटि रह गई है।
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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