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________________ 140 आधुनिक हिन्दी-जैन साहित्य (1) जगद्गुरु हीरविजय सूरी की जीवनी : (आत्मानंद जैन ट्रस्ट सोसायटी-अम्बाला) मुगल सम्राट अकबर के समय में जैन धर्म व शासन की प्रतिष्ठा बढ़ानेवाले विद्वान लोकप्रिय जैनाचार्य की शशिभूषण शास्त्री ने भिन्न-भिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित लेखों के आधार पर से लिखी है। आत्मसाधना एवं श्रेय में तल्लीन आचार्य लोक-कल्याण एवं लोकोदय की उपेक्षा करते हैं, ऐसी सामान्य मान्यता को हीरविजय जी ने निर्धान्त साबित कर दिखाया था। (2) सच्चे साधु': जगत् पूज्य विजय धर्म सूरि महाराज की जीवनी अभयचन्द भगवानदास गांधी द्वारा प्रकाशित की गई है। इसमें विजय धर्म सूरि के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं का, उनकी विद्वता, महानता आदि का सुन्दर साहित्यिक शैली में वर्णन किया गया है। (3) श्री भूपेन्द्र सूरि : जैन सम्प्रदाय के युवा कवि लेखक मुनि श्री विद्याविजय जी ने इसमें जैन धर्म व शासन के विद्वान मुनि श्री भूपेन्द्र सूरि की जीवनी गीतिका छन्द में अंकित की है। इसकी विशेषता यह है कि वाद्यों के साथ इसको गाया जा सकता है। जीवनी की भाषा सुन्दर और रोचक है। मानव मात्र के प्रति कल्याण की भावना व्यक्त होती है। (4) मुनि श्री विद्यानन्द जी' : लेखक संपादक जयप्रकाश वर्मा जी ने इसमें मुनि जी के जीवन के पावक प्रसंगों को निबंध-स्वरूप में वर्णित किया है। प्रारम्भ में परिचय देने के बाद जीवनीकार की महत्ता, विशेषता, धीर गंभीरता एवं लोक-कल्याण की भावना को उजागर किया है। भाषा अलंकार रहित होने पर भी रोचकता का पूरा निर्वाह किया गया है। (5) आदर्श रत्न : मुनि श्री रत्नविजय जी महाराज की जीवनी उनके शिष्य आचार्य देवगुप्त सूरि ने लिखी है। गुरु-शिष्य दोनों प्रारम्भ में श्वेताम्बर सम्प्रदाय की स्थानकवासी शाखा के साधु थे, बाद में दोनों ने मूर्तिपूजक शाखा में पुनः दीक्षा ग्रहण की थी। शिष्य लेखक को अपने गुरु के प्रति अत्यन्त श्रद्धा व प्रेम है, जो अनेक 1. प्रकाशक-अभयचन्द भगवानदास गांधी। 2. प्रभात पाकेट बुक्स-मेरठ।
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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