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________________ आधुनिक हिन्दी जैन साहित्य : सामान्य परिचय 129 आलोच्य काल में सर्व श्री न्यामत सिंह ने प्रसिद्ध जैन सतियों का पौराणिक कथानक लेकर काफी नाटकों की रचना की है। इनमें विजयासुन्दरी नाटक, कमलश्री नाटक, शिवसुन्दरी नाटक और मैनासुन्दरी नाटक प्रमुख है।' सभी नाटक प्राचीन शैली में लिखे गये हैं, लेकिन सभी अभिनय योग्य है। नाटकों का प्रायः भाग पद्यमय होने से शेर-शायरी और गज़ल में ही प्रायः कथोपकथन होते हैं। वातावरण की सृष्टि गम्भीर शैली में करने से अतीत हमारे सामने आकर खड़ा हो जाता है। नाटकों की भाषा उर्दू प्रधान विशेष रही है। हिन्दी जैन नाटककारों में न्यामत सिंह जी का महत्वपूर्ण स्थान है। राजकुमार जैन ने भी नारी के आदर्शत्मक चरित्रों की पौराणिक कथा-वस्तु पर 'सती सुरसुन्दरी नाटक' एवं 'सती चन्दनबाला नाटक' का सृजन किया है। इसमें सती चन्दनबाला की धर्मप्रियता, सहिष्णुता, कोमलता, त्याग-विराग को व्यक्त करने वाली घटनाओं को लेकर कथानक को रोचक बनाने का प्रयास नाटककार ने किया है। 'सती सुरसुन्दरी' का कथानक भी जैन साहित्य में बहुत प्रसिद्ध है। कथा-साहित्य में भी इसको स्थान मिला है। पद्यराज जैन ने 'सती अंजना नाटक में पवनंजय-अंजना का लोकप्रिय कथानक पौराणिक ग्रन्थों के आधार पर से ग्रहण किया है। अंजना की कथावस्तु जैन-साहित्य में अत्यन्त प्रसिद्ध है। ब्रजकिशोर नारायण ने 'वर्द्धमान-महावीर' नामक नाटक में चौबीस वे तीर्थंकर भगवान महावीर की जीवनी को नाट्यबद्ध किया है। विश्व की अन्यतम विभूति भगवान महावीर के आदर्श त्यागमय जीवन को सजीव, सार्थक कथोपकथन एवं वातावरण के साथ जनता के समक्ष उपस्थित किया है। इस नाटक की प्रमुख विशेषता उसके साहित्यिक और भावपूर्ण कथोपकथन में लक्षित होती है। सुखान्त-दुखान्त मिश्रित इस रचना में धार्मिक उपदेश भी रोचक शैली में दिया है, जिससे पाठक उक्ताता नहीं है। कार्यावस्थाएं एवं अर्थ प्रकृतियों को निरूपित करने में नाटककार ने थोड़ी-बहुत खींचातानी की हो ऐसा लगता है। भगवत्स्वरूप जैन का 'गरीब" नाटक सामाजिक होने से गरीबों की करुण स्थिति का चित्रण कर उनके प्रति सहानुभूति, समानता एवं प्रेम का 1. न्यामत सिंह जैन पुस्तकालय-ट्रेक्ट-हिसार-पंजाब। 2. प्रकाशक-न्यामतसिंह जैन पुस्तकालय-टेक्ट-हिसार-पंजाब। 3. नेमिचन्द्र वाकलीवाल-किशनगढ़ (राजस्थान)। 4. प्रकाशक-वसंत कुमार जैन-आगरा।
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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