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________________ आधुनिक हिन्दी जैन साहित्य : सामान्य परिचय की गई हैं- आत्मसमर्पण, साम्राज्य का मूल्य, दंभ का अन्त, रक्षा बन्धन, गुरू दक्षिणा, निर्दोष, बलिदान, सत्य की ओर, मोह-निवारण, अंजन निरंजन हो गया, सौंदर्य की परख इत्यादि । बालचन्द्र जी इस युग के प्रमुख जैन कहानीकार के रूप में प्रसिद्ध है। पौराणिक आख्यानों में लेखक ने नयी जान डाल दी है। प्लॉट, चरित्र एवं दृश्यों के वर्णन में लेखक को काफ़ी सफलता प्राप्त हुई है। लेकिन उत्सुकता गुण के लिए प्रोत्साहक घटना- स्थिति के वर्णन में उनको पर्याप्त सफलता नहीं मिली है। 121 पं० मूलचन्द 'वत्सल' ने भी पौराणिक कथानकों को लेकर सफल कहानियों की अवतारणा की है। विशेषकर नारी पात्रों का आदर्शात्मक चरित्र प्रस्तुत करने में उनका नाम महत्वपूर्ण है। उनकी शैली परिमार्जित है, फिर भी पौराणिक कथा वस्तु एवं आदर्शात्मक चरित्र चित्रण के कारण उनकी किसी भी रचना में आधुनिक टैकनीक का निर्वाह नहीं हो पाया है। सतीरत्न में ब्राह्मी और सुंदरी, चन्दनाकुमारी और ब्रह्मचारिणी अनन्तमती ये तीन नारी - प्रधान कथाएं संग्रहीत की गई हैं। भगवत् स्वरूप जैन भी आधुनिक काल के प्रसिद्ध कथाकार है। उन्होंने काफी परिमाण में साहित्य-सृजन किया है। विशेषकर कहानीकार के रूप में वे अधिक प्रसिद्ध हुए हैं। 'मानवी', 'दुर्गद्वार', 'विश्वासघात', ‘रसभरी', 'उस दिन', ‘पारस और पत्थर', तथा 'मिलन' उनके प्रमुख कहानी-संग्रह हैं। सभी संग्रहों की कहानियां पौराणिक कथावस्तु पर आधारित है। वे अपने उद्देश्य में काफी अंश तक सफल हुए हैं कि रसात्मकता, जिज्ञासा- पूर्ति, रोचकता के साथ आचार-विचार संबंधी आदर्शात्मक सन्देश भी रखा जाये। उन्होंने धार्मिक कथा वस्तु के अतिरिक्त सामाजिक कहानी, काव्य एवं नाटक आदि का भी सर्जन किया है। अब क्रमशः उनके उपर्युक्त कथा-संग्रहों का अत्यन्त संक्षेप में परिचय प्राप्त किया जायेगा । उस दिन : भगवत् जी की लिखी हुई अतीत की कहानियों का यह संग्रह है। स्वयं लेखक के शब्दों में- 'ये जो कहानियां मैं आपके सामने पेश कर रहा हूं, सब जैन-साहित्य की विभूतियां हैं, पौराणिक कथानक है। जो कुछ है, पुराणों की संपत्ति है। सिर्फ भाषा शैली का पहिरावन मेरा है। जहां तक मुझसे बन पड़ा है, नयी शैली, नयी भाषा और कहने के नये तरीके से काफी कायाकल्प कर दिया है। पात्रों के नाम और प्लॉट दो चीजें ही मैंने ली हैं जो कि उनकी आत्माएं कही जा सकती है। और यों नया शरीर है, आत्मा पुरानी है।' इसमे 1. द्रृष्टव्य-स्व. भगवत् जैन -' उस दिन' कहानी संग्रह - प्रस्तावना - पृ० 3.
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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