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आधुनिक हिन्दी - जैन साहित्य
दृष्टि से कहानियां रचने का श्रीगणेश तो जैनियों में अभी ताजा ही ताजा है और इस सम्बंध में हमें श्रीयुत् जैनेन्द्रकुमार जी, भाई वृषभचरण जी, पं० दरबारीलाल जी, पं० मूलचन्द जी 'वत्सल', बाबू ताराचंद जी कापड़िया और मि० रूपकिशोर जी के नाम याद पड़ते हैं। इन विद्वानों ने हिन्दी साहित्य में अनेक मौलिक कहानियां रच दी है, और साथ ही जैन धर्म तथा जैन समाज को लक्ष्य करके भी उन्होंने कितनी ही कहानियाँ लिखी हैं। इन साहित्य सेवियों के अध्यवसाय से हमें विश्वास है कि हिन्दी का जैन साहित्य भी उच्चकोटि के कहानी साहित्य से रिक्त नहीं रहेगा। '
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आधुनिक काल में प्रमुख सफल कथाकार के रूप में सर्वश्री जैनेन्द्रकुमार जैन, अक्षयकुमार जैन, बालचन्द्र जैन, भगवतस्वरूप, बलभद्र ठाकुर, यशपाल जैन, चन्द्रमुखी देवी, चन्द्र प्रभा देवी की मौलिक कहानियां उल्लेखनीय हैं। श्री जैनेन्द्रकुमार जी तो हिन्दी साहित्य के भी प्रतिष्ठित बहुमुखी प्रतिभा संपन्न कलाकार हैं और हिन्दी जैन साहित्य में भी अनेक सुंदर कथाएं लिखी है। इनकी कहानियों में कहानी कला के तत्वों के अतिरिक्त विचारगांभीर्य एवं दार्शनिकता भी प्रतिबिंबित होती है। भावों और चित्रों का सुन्दर समन्वय उनकी कहानी में प्राप्त होता है । 'विद्युतचर' और 'बाहुबलि' ये दो कथाएं इनकी अत्यन्त प्रसिद्ध है। दोनों में प्रमुख पात्रों का चरित्र चित्रण मनोवैज्ञानिकता एवं भावुकता से किया गया है। उनकी कहानी का उद्देश्य पात्रों की भाव-भंगिमा एवं कथोपकथन के द्वारा स्पष्ट व्यक्त किया गया है। आधुनिक युग के अनुरूप कथा में जनतंत्र के तत्वों का भी यथेष्ट समावेश किया गया है। उनकी हिन्दी साहित्य की प्रसिद्ध रचनाओं के भीतर भी जैन दर्शन से प्रभावित विचारधारा की झांकी स्पष्ट होती है। जैनेन्द्र जी का जैन दर्शन से प्रभावित विचारधारा का अभिगम इसी कारण आदर्शात्मक रहा है। मोक्षमार्ग की सच्ची कहानियां :
स्व० पं० बुद्धिलाल जी जैन रचित छोटी-छोटी धार्मिक कहानियों का संग्रह है, जिसमें सत्य, प्रेम, अहिंसा, दानधर्म का महात्म्य वर्णित किया गया है। इसमें उपदेश के साथ मनोरंजन भी प्राप्त होता है। कथा की रोचकता के कारण उपदेशात्मक वृत्ति नीरसता नहीं पैदा होने देती । पुरानी शैली की इन कहानियों की भाषा शुद्ध खड़ी बोली है। प्रारंभिक कहानीकार के रूप में उनका महत्वपूर्ण स्थान है।
आत्म समर्पण :
बालचन्द्र जैन का यह कहानी संग्रह है। इसमें कई कहानियां संकलित आ. कामताप्रसाद जैन- 'नवरत्न' की भूमिका - पृ० 10-22.
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