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आधुनिक हिन्दी जैन साहित्य : सामान्य परिचय
117 संतुलित रूप में है।" खनककुमार, महासती सीता, सुरसुंदरी एवं सती दमयंती उनकी प्रमुख रचना है। खनककुमार :
खनक कुमार की कथा बड़ी ही रोचक एवं मर्मस्पर्शी है। खनक कुमार राजा कनककेतु एवं रानी मैनासुंदरी का वीर पुत्र था, जिसने दीक्षा अंगीकार के अनन्तर अद्भुत सहनशीलता और उग्र तपस्या के कारण केवल गति को प्राप्त किया था। करुण रस का परिपाक इस कथा में कथाकार ने बड़ी कुशलता से किया है। महासती सीता :
पौराणिक आख्यान को कल्पना द्वारा थोड़ा-बहुत परिवर्तित कर वर्मा जी ने नवीन भावों की योजना की है। महासती सीता के उज्ज्वल चरित्र का चित्रण इसमें खूबी के साथ किया गया है। रावण के चरित्र को भी यहां ऊंचा उठाया गया है। सुरसुन्दरी:
वर्मा जी ने इस कृति में भी पौराणिक आख्यान में कल्पना का यथेष्ट संमिश्रण किया है। रचना में उत्सुकता का गुण पर्याप्त मात्रा में विद्यमान है। राजकुमारी सुरसुंदरी एवं श्रेष्ठि पुत्र अमरकुमार की प्राचीन कथावस्तु में आधुनिक भाषाशैली से सजीवता पैदा कर दी है। राजकुमारी सुरसुंदरी अपनी सहिष्णुता, प्रतिभा, बुद्धि-कौशल एवं दृढ़ निश्चय के द्वारा अमरकुमार के अभिमान को पराजित कर अपनी शक्ति एवं महत्ता का यथेष्ट परिचय ठीक समय पर करवाती है। सती दमयन्ती :
इस कथा में लेखक वर्मा जी ने दमयन्ती का आदर्श चरित्र अंकित किया है। सती दमयन्ती के शील, पतिव्रत्य, प्रेम और सहनशीलता की महत्ता व्यक्त की गई है। दमयन्ती के चरित्र को पूर्णतः आदर्शवादी बनाने के कारण कथा में अलौकिक घटनाओं का घटना अस्वाभाविक लगता है। लेखक ने इस रचना में पौराणिकता का पूर्ण रूप से अनुसरण किया है। रूपसुंदरी :
इस पौराणिक कथा के लेखक भागमल शर्मा है। मनुष्य परिस्थिति वश 1. डा. नेमिचन्द्र शास्त्री-हिन्दी जैन साहित्य परिशीलन-पृ. 81, द्वितीय भाग। 2. प्रकाशक-आत्मानंद जैन ट्रस्ट सोसायटी-अम्बाला शहर।