SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 140
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 116 आधुनिक हिन्दी-जैन साहित्य प्रभाव भी पड़ता है। अब क्रमशः कथा-साहित्य की कृतियों का परिचय संक्षेप में दिया जायेगा। उनके विषय में विस्तार से आगे देखा जायेगा। आराधना कथा कोश' : 'आराधना-कथा-कोश' की कथाओं का सुन्दर मौलिक अनुवाद उदयलाल काशलीवाल ने किया है। इसके प्रथम भाग में 24 कथाएं, द्वितीय भाग में 38 कथाएं, तृतीय भाग में 32 कथाएं तथा चतुर्थ भाग में 27 कथाएं संग्रहीत की गई हैं। इन कथाओं का अनुवाद स्वतंत्र रूप से किया गया होने से मौलिक रचनाओं का आनंद प्राप्त होता है। इन कथाओं की भाषा सरल व शैली आकर्षक होने के कारण सामान्य जैन समाज का मनोरंजन करने में लेखक को सफलता मिली है। जैन दर्शन के अहिंसा, अपरिग्रह, सत्य, ब्रह्मचर्य के प्रमुख सिद्धांतो को प्रतिपादित करने वाली ये कथाएं जैन संस्कृति का भी परिचय करवाती हैं। बृहत्कथा कोश: इस का अनुवाद प्रो० राजकुमार साहित्याचार्य ने सुन्दर शैली में किया है। इसके दो भाग प्रकाशित हो चुके हैं। अनुवादक ने ऐसी सहज सरल शैली में अनुवाद किया है कि मूल कथाओं के भावों को अक्षुण्ण रखा गया है। साथ ही रोचकता एवं उत्सुकता का निर्वाह भी समान ढंग से हो सका है। 'दो हजार वर्ष पुरानी कहानियां' में डा. जगदीशचन्द्र जैन ने प्राचीन आगम ग्रन्थों की कथाओं को हिन्दी भाषा में सरल और रोचक शैली में मौलिकता के साथ लिखा है। इस संग्रह में कुल 64 कहानियां है जो तीन भागों में विभक्त की गई है-(1) लौकिक (2) ऐतिहासिक (3) धार्मिक। पहले में 34, दूसरे में 17 एवं तीसरे में 13 कहानियां संग्रहीत है। सूक्ष्म निरीक्षण शक्ति और घटना चमत्कार इन कथाओं को कलात्मक भी बनाता है। कला तत्व की दृष्टि से भी इन कथाओं का काफी महत्व रहता है। प्राचीन आधार पर से कथावस्तु ग्रहण किया होने से कथा वस्तु में कल्पना या अस्वाभाविकता का अंश प्रायः नहीं होता है। पुरातन कथानकों को लेकर श्री बाबू कृष्णलाल वर्मा ने स्वतंत्र रूप से कुछ कथा-ग्रन्थ लिखे हैं। "इन कथाओं में कहानी-कला विद्यमान है। इनमें वस्तु, पात्र और दृश्य (Back ground or atmosphere) ये तीनों मुख्य अंग 1. प्रकाशक-जैन मित्र कार्यालय, हीराबाग, बम्बई। 2. प्रकाशक-भारतीय दिगम्बर जैन संघ-चौरासी-मथुरा।
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy