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________________ आधुनिक हिन्दी जैन साहित्य : सामान्य परिचय 81 से (2) ऐतिहासिक दृष्टिकोण से (3) वैचारिक दृष्टि बिन्दु से। पहला अर्थ समय सापेक्ष माना जायेगा, जिसके अनुसार 'आधुनिक' एक काल से सम्बंधित हैं, जैसा कि शब्दार्थ स्पष्ट सूचित है। आधुनिकता का सम्बन्ध वर्तमान से है और चूँकि वर्तमान की धारणा समय-सापेक्ष होती है, अतः आधुनिकता का यह रूप प्रत्येक युग में परिवर्तित होता रहता है। यहां 'आधुनिक' अतीत से भिन्न या 'नये' के अर्थ का वाचक होता है। इतिहास के दृष्टिकोण से 19 वीं शताब्दी का प्रारंभ केवल हिन्दी साहित्य में ही नहीं, वरन् भारतीय इतिहास एवं जन-जीवन के लिए आधुनिक बोधक माना जाता है। ईस्वी सन् 1857 की असफल क्रांति के पश्चात् भारत में आधुनिक विचार धारा एवं नूतन चेतना का प्रवाह सर्वत्र व्याप्त दिखाई पड़ता है। इसके लिए हम पाश्चात्य सभ्यता, संस्कृति, रीति-नीति तथा शासन पद्धति को भी महद् अंश में श्रेय दे सकते हैं। (3) विचार परक दृष्टि बिन्दु से आधुनिकता एक ऐसा विशिष्ट युग है, जो मध्ययुगीन विचार-पद्धति से सर्वथा भिन्न एक नये जीवन दर्शन का वाचक है। वस्तुतः आधुनिकता की धारणा का मूलाधार ऐतिहासिक चेतना ही है। इसके साथ ही विवेक युक्त वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी सहायक तत्व है। समाज जब अपने देशकाल, युग सभ्यता-संस्कृति एवं इतिहास के प्रति प्रबुद्ध होता है, तब सामाजिक, धार्मिक तथा राष्ट्रीय चेतना के उद्भव व विकास के साथ साहित्य में भी उसकी अभिव्यक्ति होना सहज संभाव्य हैं। प्रसिद्ध हिन्दी आलोचक और निबंधकार डा० नगेन्द्र 'आधुनिकता' पर अपने विचार व्यक्त करते हुए लिखते हैं कि-'आधुनिकता' में परम्परा का विरोध नहीं होता, लेकिन उसको स्थिर मानकर आधुनिकता नहीं चलती। आधुनिक दृष्टि परम्परा को प्रवाह के रूप में स्वीकार करती है, जो निरन्तर अग्रसर रहता है और जिसमें परिवर्तन अनिवार्य है, जीर्ण पुरातन का त्याग, संशोधन तथा पुनर्मूल्यांकन की पद्धति से नव-नव-रूपों के विकास की आकांक्षा, वैचित्र्य और नवीनता के प्रति आकर्षण आधुनिकता के सहज अंग है। अतः रूढ़ियों के विरुद्ध विद्रोह और नवजीवन के विकास के लिए प्रयोग के प्रति आग्रह यहां अनिवार्य है। किन्तु आज के सीमित सन्दर्भ में 'आधुनिक' का एक संकुचित अर्थ 'सम-सामयकि' भी उभर कर सामने आया है। इस सन्दर्भ में आधुनिकता का अर्थ है वर्तमान का युग बोध, जहां दृष्टि वर्तमान पर ही केन्द्रित रहती है। आज की स्थिति का यथार्थ परिज्ञान आधुनिकता का आधार है। ++++ आधुनिकता विधि मात्र है। विधि रूप में उसका प्रभाव अक्षुण्ण है, पर विधि से अधिक उसका महत्व नहीं है। ऐसे ही 1. डा. नगेन्द्र जी : नयी समीक्षा, नये संदर्भ, पृ. 62.
SR No.022849
Book TitleAadhunik Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaroj K Vora
PublisherBharatiya Kala Prakashan
Publication Year2000
Total Pages560
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size39 MB
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