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बौद्ध धर्म का वैश्विक अवदान
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भी किसी न किसी रूप में जैसे कि मानवता, सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह, सेवा आदि के रूप में विद्यमान है । इस दृष्टि से यह सनातन मानव-धर्म है।
वर्तमान समय में भी इसका व्यवहार आवश्यक है । आज के इस आधुनिक एवं संघर्षशील परिवेश में यदि हम बुद्ध के आदर्शों एवं सिद्धान्तों का सही-सही ढंग से पालन करें तो निःसन्देह विश्व में शान्ति व सद्भाव स्थापित हो सकता है और समस्त वैश्विक मनुष्यों के मानवाधिकारों की सुरक्षा भी हो सकती है।
संदर्भ
1. मजूमदार, आर० सी० राय चौधरी तथा के० के० दत्त, एन० एडवांस्ड हिस्ट्री ऑफ इण्डिया, 1970, पृ० सं० 21-25 1
2. मजूमदार, एस० के० चटर्जी, कल्चरल हेरिटेज ऑफ इण्डिया, खण्ड प्रथम 1970, पृ० सं० 95-1101
3. हजारी प्रसाद द्विवेदी, भारती सांस्कृतिक परम्परा, अमृत प्रभात, 7 जनवरी 1993 । 4. मित्तल, ए० के० भारत का सांस्कृतिक इतिहास, खण्ड प्रथम, पृ० सं० 64 । 5 तत्रैव ।