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श्रमण-संस्कृति हस्तलिखित पुस्तकों में अनेक उत्कृष्ट कोटि के चित्र उपलब्ध होते हैं। जैन धर्म के विवेचन से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय संस्कृति के अजस्र प्रवाह में जैन धर्म कहीं बहुत पहले प्रारम्भ हो चुका था। पार्श्वनाथ और महावीर ने इसको एक व्यवस्थित धर्म का रूप दिया। सम्पूर्ण भारतीय जनता में यह धर्म समग्र रूप में भले ही प्रसारित न हो सका किन्तु ईसा पूर्व छठी शती से लेकर आज तक यह निरन्तर बना हुआ है।
संदर्भ 1. भारतीय संस्कृति, प्रीति प्रभागोपाल। 2. संस्कृति के चार अध्याय, रामधारी सिंह दिनकर। 3. भारतीय दर्शन, डॉ० राधा कृष्णन। 4. भारतीय संस्कृति, डॉ. किरण टण्डन। 5. हिन्दी सूफी साहित्य में हिन्दू संस्कृति, डॉ० कन्हैया सिंह 6. भारतीय दर्शन एवं संस्कृति, डॉ० महराजदीन पाण्डेय