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जसवल से प्राप्त नवीन सूर्य प्रतिमाएं आकृतियां हैं। देवता वक्ष पर वर्म (अब्यांग), कर्णों में वृत्ताकार कुण्डल, वलय (कंगन) ग्रेवेयक (गलाहार),विशालहार, यज्ञोपवीत तथा किरिटमुकुट से अलंकृत है। वक्ष पर श्रीवत्स चिन्ह अंकित है। उनके मुख पर शांत मिश्रित स्मित भाव परिलक्षित होता है। वे कटि में अधोवस्त्र एवं चरणों में उपानह उदीच्य वेष के अनुरूप धारण किये हैं। प्रभावली के दक्षिण पार्श्व में ब्रह्मा जी की ललितासिन मूर्ति अक्षमाला पुस्तक एवं कमण्डल लिए हुए निर्मित है। उनका दक्षिणार्ध्य कर अभय मुद्रा में है। इसी प्रकार प्रभावली के वामपार्श्व में चतुर्भुज विष्णु अभय मुद्रा में गदा चक्र एवं शंख लिए हुए उपस्थित है। इनका भी प्रथम अथवा दक्षिणार्ध्य कर अभय मुद्रा में है। इन आकृतियों के दोनों पार्श्व में ऊषा प्रत्युषा की स्थानक मुद्रा में लघु परन्तु स्पष्ट प्रतिमा पद्म पीठिका पर बनाई गयी है। सर्वाभरण अलंकृत देवी के करों में धनुष और बाण है। वे दृढ़तापूर्वक पीठिका पर वराह मूर्तियों के समान कतिपय आलीढ़ मुद्रा में स्थित है। मानों कोई विरांगना युद्ध भूमि में जाने हेतु तैयार हो। इनकी प्रतिमाओं के नीचे स्कन्धों के समकक्ष गज एवं अश्व शार्दुल आकृतियां अलंकरण हेतु अंकित हैं। देवता के कटि प्रदेश के समानान्तर उनकी पत्नी संध्या एवं छाया की अति कमनीय मूर्तियां कतिपय त्रिभंग मुद्रा में बनाई गयी हैं। ये करण्ड, मुकुट, हार, कंकण, कुण्डल एवं सारिका द्वारा अलंकृत हैं। इनका एक कर जानु पर स्थित है तथा दूसरे कर में चमरि धारण किये हुए हैं। यही देवियों के चरणों के निकट दो आकृतियां उत्कीर्ण की गयी हैं। इनमें दक्षिण पार्श्व की आकृति अत्यन्त रोचक है। इसमें एक विकराल रूप वाली आकृति है इनमें दक्षिण पार्श्व की आकृति अत्यन्त रोचक है इसमें एक विकराल रूप वाली आकृति भुजाओं में खड्ग पकड़े हुए देवता की ओर आक्रामक मुद्रा में देखते हुए बनाई गयी है। जबकि वाम पार्श्व में एक उपासक अत्यन्त विनित भाव से अंजली मुद्रा में पीठिका पर आसीन है। उल्लेखनीय है यह खड्गधारी आक्रामक मूर्ति अन्धकार रूपी असुर के प्रदर्शन हेतु बनायी गई होगी। जो कलाकार की निजी विशिष्टता को परिलक्षित करती है। विवेचित प्रतिमा अर्चा विज्ञान की दृष्टि से अत्यन्त विकसित काल के तत्वों से युक्त है। उल्लेखनीय है कि राजपूत युग में निर्मित बहुसंख्यक मूर्तियों में पार्श्व अंकन इसी रूप में किया गया है। विशेषतः अश्वनी कुमारों का सूर्य देवता के साथ मूर्ति खजुराहों के चंदेल