________________
बौद्ध संघ में भिक्षुणियों की स्थिति एवं भिक्षुणी संघ का विकास 269 साक्ष्य नहीं है जो बौद्ध भिक्षुणियों के वर्तमान होने की सूचना दे। यह सम्भव है कि इसके पश्चात् भी छिट-पुट कुछ भिक्षुणियां रही हों, परन्तु उनके सम्बन्ध में हमें कोई साक्ष्य नहीं प्राप्त होता है। अतः भारत में बौद्ध भिक्षुणियों के अस्तित्व की यही अन्तिम सीमा मानी जा सकती है।
संदर्भ 1. डॉ. अरुण प्रताप सिंह, जैन और बौद्ध भिक्षुणी संघ, वाराणसी, 1986, पृ. 191 2. चुल्लवग्ग, नालन्दा, 1956, पृ० 378 3. वही 4. वही, पृ० 374-75 5. सीसच्छिनों अभब्बोतेन सरीरबन्धनेन जीवितुम, पाचितिप पालि, नालन्दा, 1958,
287 6. डॉ० अरुण प्रताप सिंह, वही, पृ० 192 7. कार्पस इन्स्क्रीपंशनम इण्डीकेरम, भाग 1, पृ० 160 8. वही, पृ० 161 9. वही, पृ० 159 10. वही, पृ० 172 11. लिस्ट ऑफ ब्राह्मी इंस्क्रिपशंस, पृ० 925 12. संयुक्त निकाय, अनुवाद भिक्षु जगदीश काश्यप, वाराणसी, 1954, 42/1 13. बुद्धिस्ट रिकार्डस ऑफ द वेस्टर्न वर्ल्ड, भाग 1, पृ० 25 14. वही, भाग 3, पृ० 260 15. वही, भाग 1, पृ० 32 16. वही, भाग 3, पृ० 309 17. वही, भाग 1, पृ० 22, एवं वही, भाग 2, पृ० 213 18. लिस्ट ऑफ ब्राह्मी इंस्क्रिपशंस, पृ० 1006 19. वही, पृ० 1240 20. वही, पृ० 1286 21. वही, पृ० 319 22. वही, पृ० 38 23. वही, पृ० 1250 24. डॉ० अनन्त सदाशिव अल्तेकर, एजुकेशन इन एंशियण्ट इण्डिया, वाराणसी, 1944,
पृ० 220