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बौद्ध संघ में भिक्षुणियों की स्थिति एवं भिक्षुणी संघ का विकास 267 कहा गया है, जो अपने आचार्य बल के समान तीनों पिटकों में पारंगत थी। संभवतः सारनाथ भिक्षुणियों की शिक्षा का भी महान केन्द्र था।
उत्तर भारत में श्रावस्ती बौद्ध भिक्षुणियों का एक अन्य महत्वपूर्ण स्थल था। श्रावस्ती (आज का सहेत-महेत) कौशल का प्रमुख नगर था। बुद्ध कालीन कौशल नरेश प्रसेनजित के साथ ही भिक्षुणी खेमा का प्रसिद्ध दार्शनिक वार्तालाप हुआ था। श्रावस्ती में ही जेतवनविहार एवं भिक्षणियों का प्रसिद्ध राजकाराम विहार था। संभवतः प्रसेनजित ने गौतमी महाप्रजापति के लिए एक विहार बनवाया था, जिसके भग्न खण्डहरों को फाहयान एवं हवेनसांग4 दोनों ने देखा था। ___ बौद्ध धर्म में कपिलवस्तु का अपना एक अलग महत्व था। यहाँ बुद्ध की जन्मस्थली थी। बौद्ध धर्म में भिक्षुणी-संघ की स्थापना का सर्वप्रथम प्रयास गौतमी महाप्रजापति ने यहीं पर किया था।
बौद्ध भिक्षुणियों के लिए वैशाली भी एक महत्वपूर्ण नगर था। यहीं पर आनन्द के कहने पर बुद्ध ने भिक्षुणी संघ की स्थापना के लिए अनुमति प्रदान की थी। बौद्ध भिक्षुणी आम्रपाली ने बुद्ध को यहीं पर दान दिया था। वहीं पर निर्मित एक स्तम्भ का उल्लेख फाहयान एवं ह्वेनसांग दोनों ने किया है।
मथुरा भी बौद्ध भिक्षुणियों का एक प्रमुख स्थल था। यहाँ आनन्द के स्तूप की भिक्षुणियाँ पूजा करती थीं।"
पश्चिमी भारत में भी बौद्ध भिक्षुणियों का प्रसार प्रथम शताब्दी ईस्वी तक पूर्ण हो चुका था। कन्हेरी, कार्ले, भाजा, कुदा, नासिक, जुन्नार आदि से प्राप्त अभिलेखों से यह प्रतीत होता है कि ये स्थल भिक्षुणियों के प्रसिद्ध केन्द्र के रूप में शताब्दियों तक वर्तमान रहे। कन्हेरी से प्राप्त एक अभिलेख में एक भिक्षुणी को थेरी कहा गया है। यह विशेषण अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि किसी भी अन्य अभिलेखों में हम भिक्षुणी के लिए 'थेरी' शब्द नहीं पाते।
दक्षिण भारत में बौद्ध भिक्षुणियों का सर्वाधिक प्रसिद्ध स्थल था अमरावती। यहाँ भिक्षुणियों द्वारा दिये गये दोनों की एक लम्बी सूची मिलती है। यहाँ एक भिक्षुणी बोधि को 'भदन्ती' विशेषण से सम्बोधित किया गया है जो कन्हेरी