________________
बौद्ध परिक्षेत्र में शैलकृत वास्तु कला
103
से ही कई सौ वर्षों एवं विभिन्न राजवंशों के शासन काल में एक नवीन कला शैली का विकास और विस्तार हुआ। बौद्ध वास्तुकला में ही सर्वप्रथम पत्थरों को काटकर निर्माण किया गया ।" अशोक के समय भारतीय कला में पाषाण का प्रयोग व्यापक रूप में हुआ जिसमें बौद्ध स्तूपों एवं गुफाओं का निर्माण हुआ, शुंग - सातवाहन काल में कार्ले, नासिक, माजा, अजन्ता इत्यादि स्थानों पर शैलकृत वास्तुकला के अन्तर्गत चैत्य और बिहार बनाये गये । गुप्त काल
बौद्ध धर्म से सम्बन्धित स्तूप, चैत्य बिहार तथा मंदिरों का निर्माण होता रहा । अतः कहा जा सकता है कि प्राचीन भारत में बौद्ध धर्म के प्रचार के साथ बौद्ध कला का भी विस्तार हुआ।
सन्दर्भ
1. अंगुत्तर निकाय, जिल्द 2, पृ० 38, 39
2. वासुदेव शरण अग्रवाल, भारतीय कला, पृ० 196
3. विनय पिटक, चुल्लवग्ग, पृ० 239
4. आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया : ए रिव्यू 1913, 14 पृ० 4
5. संयुक्त निकाय, जिल्द 3, पृ० 120
6. मार्शल एण्ड फ्रूशे, 1940 द मॉनुमेन्ट्स ऑफ सांची जिल्द 3
7. वासुदेव शरण अग्रवाल, भारतीय कला, पृ० 211
8. इण्डियन आर्किटेक्चर, पृ० 30
9. वासुदेव शरण अग्रवाल, भारतीय कला, पृ० 214
10. ऋग्वेद, 10:18:13
11. पर्सी ब्राऊन, इण्डियन, ऑर्किटेक्चर,
पृ० 30