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स्वाभिव्यक्ति
श्रमण संस्कृति शीर्षक की प्रस्तुत पुस्तक भारतीय संस्कृति पर जैन एवं बौद्ध परम्परा का प्रभाव (The impact of the Tradition of Janism and Buddhism on Indian Culture) विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी (छं. जपवदंस बवदमितमदबम ) 2009 में उपस्थित विद्वत वरेण्यों ने अपना जो विद्वतापूर्ण शोध पत्र प्रस्तुत किया उन्हीं शोध पत्रों पर सत्राध्यक्षों के माध्यम से विचार विमर्श उपरान्त प्राप्त निष्कर्षों का प्रकाशित संकलित स्वरूप है।
राष्ट्रीय संगोष्ठी (National conference) की सुव्यवस्थित सम्पन्नता साथ ही तत्सम्बन्धी शोधपत्रों का प्रकाशन विद्वत वरेण्यों एवं सुधीजनों के सहयोग का ही परिणाम होता है। मैं स्वयं को उपकृत मानता हूँ कि मुझे आप सभी द्वारा पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ । आप सभी के प्रति अभाराभिव्यक्ति मात्र औपचारिकता ही नहीं वरन् अपना दायित्व मानता हूँ ।
आपके कर कमलों तक पहुंच रही यह वहुवर्णी कार्यवृत्त (Proceeding) परम श्रद्धेय गुरु वरेण्य आचार्य प्रेमसागर चतुर्वेदी जी के प्रति शीर्षा नमित भाव से समर्पित अभिनन्दन ग्रन्थ (Felicitation volume) के रूप में संयोजित है ।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन समारोह में मैंने देश के विभिन्न विद्याकुलों से आये हुए विद्वतजनों को पूर्ण विश्वास सहित आश्वस्त किया था कि आप द्वारा प्रस्तुत महत्वपूर्ण शोध पत्रों को जिन्हें सत्राध्यक्षों द्वारा स्वीकृत कर लिया गया है, उन्हें अवश्य ही प्रकाशित करूंगा। यह संकल्प सम्माननीय आचार्य प्रेमसागर चतुर्वेदी अभिनन्दन ग्रन्थ ' Prof. Premsagar Chaturvedi Felicitation volume,' के प्रकाशन द्वारा सम्भव हो सका है।
राष्ट्रीय संगोष्ठी (National conference) की सफलता शुभ चिंतक सहयोगियों की सहकारिता का ही परिणाम रहा। सभी व्यवस्थाओं के होते