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भारतीय संस्कृति पर बौद्ध परम्परा का प्रभाव
बौद्ध धर्म की सर्वाधिक महत्वपूर्ण देन यह है कि इस धर्म ने अन्य अनेक देशों के साथ भारत का घनिष्ठ सम्बन्ध कर दिया, भारत के बौद्ध धर्म प्रचारकों ने मध्य एशिया, चीन, मंगोलिया, मंचूरिया, जापान, कोरिया, जावा सुमात्रा, मलाया, लंका, आदि देशों तक इस धर्म का प्रचार किया, जिससे इन देशों में भी भारतीय संस्कृति का प्रचार हुआ। इसके फलस्वरूप इन विदेशों में भारत वर्ष एक तीर्थ स्थल की भांति पवित्र हो गया। अनेक बुद्धोपासक भारत आने के लिए लालायित रहते थे। फाह्यान, ह्वेन सांग आदि अनेक चीनी यात्री विविध कष्ट सहकर भारत आये। वर्षों तक भारत में रहे और यहाँ से पवित्र ज्ञान एवं सस्कृति की अमूल्य धरोहर लेकर अपने देश वापस गये।
भारतीय संस्कृति पर बौद्ध धर्म का एक दुःखद प्रभाव भी पड़ा है। इस धर्म ने अहिंसा और जीवन दया पर सर्वाधिक बल दिया। बौद्ध धर्म के प्रभाव में आकर अशोक ने पुन: कभी युद्ध न करने की प्रतिज्ञा की और अपनी शासन नीति परिवर्तित कर डाली। युद्ध न करने की स्थिति में सेना आलसी, शिथिल तथा निष्क्रिय बनी और सामान्य जनता की प्रवृत्ति भी रक्तपात आदि विमुख हो गयी। शस्त्रागारों का प्रशिक्षण और अभ्यास बहुत कम रह गया। इसी कारण जब भारत पर विदेशी आक्रान्ताओं ने बर्बर आक्रमण किये तो भारत को पुन: पराजय का मुख देखना पड़ा। केन्द्रीय राज्य सत्ता के अहिंसक हो जाने पर व्यवस्था छिन्न-भिन्न हुई और देश छोटी-छोटी अनेक ईकाइयों में बंट गया। क्रमशः अहिंसा का सिद्धान्त बद्धमूल हो जाने पर भारत से दीर्घकाल के लिए सैनिक भावना का लोप हो गया। भारतीय इतिहास पर बौद्ध धर्म के प्रभाव का यह दुःखद पहलू है।
संदर्भ 1. भारतीय संस्कृति, प्रीति प्रभा गोयल। 2. संस्कृति के चार अध्याय, रामधारी सिंह दिनकर। 3. भारतीय दर्शन, डॉ० राधा कृष्णन्। 4. बौद्ध दर्शन के मूल आधार, हेलेना रेरिख। 5. भारतीय संस्कृति, डॉ. किरण टण्डन। 6. हिन्दी सूफी, साहित्य में हिन्दू संस्कृति, डॉ० कन्हैया सिंह