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नागौर जनपद के प्रमुख जैन कवि और उनकी रचनाओं में चित्रित ऐतिहासिक संदर्भ
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मेड़ता का ऐसा ही वर्णन “जिनराज सूरि निर्वाण रास” नामक रचना में मिलता है। कवि सुमति वल्लभ के अनुसार यहां आसकरण, ओसवाल, चौपड़ा और गोलछों के परिवार अधिक थे।
इस विवेचन से नागौर जनपद में रचित जैन साहित्य की एक समृद्ध परम्परा का परिचय होता है । इनकी रचनाओं में तद् युगीन परिस्थितियों और मान्यताओं का सजीव चित्रण हुआ है। भण्डारी बंधुओं की रचनाओं से यह भी स्पष्ट होता है कि उत्तर मध्यकाल में वृद्धिमान रीति विवेचक ग्रंथों का भी नागौर जनपद में निर्माण हआ। यह उस जनपद की राजस्थानी साहित्य को ही नहीं अपितु समस्त हिन्दी काव्यशास्त्र की भी महत्ती उपलब्धि है।
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वही, पृ. 191-200, ढाल 1, चौ. 1-2; ढाल 2, चौ.51