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________________ नागौर जनपद के प्रमुख जैन कवि और उनकी रचनाओं में चित्रित ऐतिहासिक संदर्भ 85 वर्ष की आयु में ही इन्होंने जोधपुर में दीक्षा ग्रहण की। अपने गुरु आसकरण जी के देहान्त के उपरान्त जोधपुर में ही इन्हें आचार्य पद वि.सं. 1872 में मिला। नागौर में रचित इनकी दो रचनाएं उपलब्ध हैं1. शील सज्झाय (वि.सं. 1887)' एवं धन्ना चौपई ढाल 62 (वि.सं.1890) 12 17. शिवसुंदर- (खरतरगच्छीय सोमध्वज के शिष्य गौतम पृच्छा, खींवसर, नागौर, वि.सं. 1569) 18. कनकसोम (जिनपालित जिनरक्षित रास, वि.सं. 1632, नागौर, थावचा सुकोशल चरित्र, वि.सं. 1655, नागौर)3 19. गुणविजय (विजयसूरि विजय प्रकाश रास, वि.सं. 1652)4 20. वाचक सूरचंद (शृंगार रसमाला, वि.सं. 1659, नागौर) 21. विमल चरित्र (अंजना सुंदरी रास, वि.सं. 1663, पद्य 397, नागौर) 22. दानविनय (“नंदीसेन चौपई, गाथा 86, वि.सं. 1655, नागौर)5 23. विद्यासागर (कलावती चौपई, वि.सं. 1673, नागौर) 24. महिमामेर (नेमिराजुल फाग, वि.सं. 1673, नागौर) 25. सुमतिवल्लभ (श्री जिनदास सूरि निर्वाण रास, वि.सं. 1719)6 26. हीराणंद (अमृतमुखी चतुष्पदी, वि.सं. 1727, मेड़ता) 27. जिनलब्धि सूरि (नवकार महात्म्य चौपई, वि.सं. 1750, जयतारण) 28. कुशलसिंह (संतकुमार चौढालियो, वि.स. 1789, जयतारण) 1. जिनवाणी, वर्ष 16, अंक 11 में प्रकाशित 2. जैनरत्न पुस्तकालय, जोधपुर में संगृहीत 3. अभय जैन ग्रंथालय, बीकानेर में संगृहीत 4. सं. भंवरलाल नाहटा - ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह, पृ. 341-364 5. अभय जैन ग्रंथालय, बीकानेर में संगृहीत 6. ऐतिहासिक जैन-काव्य संग्रह, पृ.191-200
SR No.022847
Book TitleRajasthani Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmohanswarup Mathur
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year1999
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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