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________________ 8 नागौर जनपद के प्रमुख जैन कवि और उनकी रचनाओं में चित्रित ऐतिहासिक संदर्भ राजस्थान भारतवर्ष का एक सांस्कृतिक प्रदेश है। यहां के प्रत्येक नगर और गांव से कोई न कोई इतिहास अवश्य जुड़ा हुआ है। राजस्थान का नागौर भी ऐसा ही एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक जनपद है, जिसे प्राचीनकाल में सपादलक्ष, अहिच्छत्रपुर (अहिपुर), नागहृद, भुजंगपुर, नागपुर, नागपट्टन, शेषपुर आदि नामों से जाना जाता रहा है ।1 कर्नल जेम्स टॉड ने इसका नाम नागदुर्ग बतलाया है तथा जैन साहित्य में इसका उल्लेख - नागउर के रूप में हुआ है । 3 यह शब्द रुप नागौर पद के अधिक निकट लगता है। 700 वर्ष प्राचीन तवारीखों में भी नागोर शब्द का ही प्रयोग हुआ है। 1. 2. 3. 4. 5. वस्तुतः इतिहासकारों द्वारा निर्दिष्ट जांगल प्रदेश की यह नगर (नागोर-अहिच्छत्रपुर) राजधानी था । इस पर चौहानों का शासन था। दिल्ली-सिंध के राजमार्ग पर स्थित होने के कारण यह एक प्रमुख व्यापारिक केन्द्र भी था । अतः इस क्षेत्र पर राजनीतिक उतार-चढ़ाव आने स्वाभाविक थे । इसीलिये नागौर पर चौहानों के बाद मुहम्मद बहलीम तथा दिल्ली के अन्य मुसलमान शासकों का शासन रहा । अन्ततः यह राव अमरसिंह राठौड के अधीन वि.सं. 1696 में हुआ । राठौड़ों के गौ. ही. ओझा - जोधपुर राज्य का इतिहास, पृ. 329 पश्चिमी भारत की यात्रा (हिन्दी अनु), राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर जे. एस. पी. 12, पृ. 102 (नागौर चैत्य परिपाटी) गौ. ही. ओझा - बीकानेर राज्य का इतिहास, खंड-2, पृ. 1-2 जगदीशसिंह गहलोत - मारवाड़ राज्य का इतिहास
SR No.022847
Book TitleRajasthani Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmohanswarup Mathur
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year1999
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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