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________________ 18 राजस्थानी जैन साहित्य कवि के रचना काल में प्रचलित सामाजिक मान्यताओं से । कवि जिस युग का है वह युग भी उसे प्रभावित करता है। अतः उस युग की मान्यताओं का प्रभाव भी कवि की रचनाओं में चित्रित होता है। आलोच्य काल में तेजसार रास चौपई वि.सं. 1624, अगड़दत्त रास. वि.सं. 1625, भीमसेन हंसराज चौपई, वि.सं. 1643 (कुशललाभ), गोरा-बादल चौपई वि.सं. 1645, लीलावती चौपई वि.सं. 1673 (हेमरतन), सुरसुन्दरी रास वि.सं. 1646 (नयसुन्दर), नेमिराजुल बारामास बेल प्रबन्ध वि.सं. 1650 (जयवंत सूरि), मृगावती रास वि.सं. 1668, सिहलसुत चौपई वि.सं. 1672, पुण्यसार चौपई वि.सं. 1673, नलदमयंती चौपई वि.सं. 1673 (सभी समय सुन्दर), पुरन्दरक कुमार चौपई वि.सं. 1672 (मालदेव) हंसावली री वारता वि.सं. 1672 (शिवदास), गोराबादल चौपई वि.सं. 1680 (जटमल) प्रेम विलास प्रेमलता वि.सं. 1693, सदयवत्स सावलिंगा चौपई वि.सं. 1693 (केशव) पद्मिनी चरित्र चौपई, वि.सं. 1680 (लब्धोदय), बछराज चौपई वि.सं. 1737 (विनयलाभ), स्थूलिभद्र कोशा प्रेम विलास वि.सं. 16 वीं शती उत्तर्रार्द्ध (जयवंत सूरी), माधवानल काम कंदला (1737 दामोदर) रणसिंध कुमार चौपई वि.सं. 1741 (रत्नप्रभ), लीलावती चौपई वि.सं. 1742 (लाभवर्धन), महता नैणसी री ख्यात वि.सं. 1667, चंद्रराज चरित्र वि.सं. 1782 (मोहन विजय) नेमिराजुल वेलि वि.सं. 1786 (चतुरविजय) चन्द्रलेहा चोपई वि.सं. 1805 (मतिकुशल) चित्रसेन पदमावती रतनसार चौपाई वि.सं. 1814 (रामविजय) चन्दनमलयागिरी रास चौपाई वि.सं. 1814 (कल्याण कलश), मृगाकंलेखा चौपाई वि.सं. 1838, रामचंद कलावती चौपाई वि.सं. 1861 (रिखुसाधु), नेमिश्वर स्नेह वेलि वि.सं. 1867 (उत्तम विजय) नेमीनाथ रसवेलि वि.सं. 1899, रूपसेन कुमार नो चरित्र वि.सं. 19 वीं शती प्रथम चरण (हुलासचंद) आदि रचनाएँ हैं, जो इस युग के सामाजिक इतिहास में अनेक स्त्रोतों को उद्घाटित करती है। वर्ण व्यवस्था वर्ण-व्यवस्था भारतीय सामाजिक संगठन का मूल आधार थी। आलोच्य काल की जैन रचनाओं में समाज की इकाई के रूप में वर्ण-व्यवस्था का चित्रण अनेक स्थलों पर हुआ है। 17 वी शताब्दी के प्रसिद्ध जैन कवि समयसुन्दर की नलराज चौपई में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र इन चार वर्णों का उल्लेख हुआ है । यहां यह भी स्पष्ट किया गया हैं कि चार वर्ण अपने-अपने धर्म का पालन करते थे और किसी को पीड़ा नहीं पहुंचाते
SR No.022847
Book TitleRajasthani Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmohanswarup Mathur
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year1999
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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