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________________ तेरापंथ : रचनाकार और रचनाएं महाप्रज्ञ, मुनि नथमलजी, मुनि सोहनलालजी, मुनि बुधमल जी, मुनि चौथमल जी, मुनि मोहनलाल जी " आमेट", मुनि महेन्द्र जी, मुनि सुखलाल जी, साध्वी कल्पलता जी एवं साध्वी जिनरेखा जी की मिलती हैं। 1 इन तेरापंथी रचयिताओं की उल्लेखनीय रचनाएं हैं - ब्याहुलो, गणधर सिखावणी, कालवादी री चौपाई, टीकमदोसी री चौपाई, भिक्खु दृष्टान्त, सुदर्शन चरित, जबू चरित आदि (आचार्य भिक्षु), झीणी चर्चा, कीर्तिगाथा, अमर गाथा (जयाचार्य जी), कालू यशोविलास, माणक-महिमा, जालिम चरित्र, नंदन निकुंज (आचार्य तुलसी), फूल लारै कांटौ (युवाचार्य महाप्रज्ञ), उणियारो, जागण रौ हेलो (मुनि बुधमल जी), तथ' र कथ (मुनि मोहनलालजी, आमेट), गीतों का गुलदस्ता, निर्माण के बीज, राजस्थानी गीत (मुनि सुखलाल जी ) इत्यादि । इन रचनाकारों की कतिपय उल्लेखनीय रचनाओं का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार 107 1. सुदर्शन चरित तेरापंथ के संस्थापक आचार्य भीषणजी (भिक्षु) की यह एक महत्वपूर्ण रचना है। आचार्य भिक्षु ने वैसे तो गद्य और पद्य में अनेक रचनाएं रचीं, जिनका मूल विषय “तेरापंथ” की व्याख्या है । किन्तु आलोच्य कृति में आचार्य प्रवर ने जैन साहित्य में प्रचलित ऐतिहासिक सुदर्शन चरित्र को अपना विषय बनाया है। यद्यपि काव्य का लक्ष्य जैन शैली के अनुरूप शील का निर्देशन ही है किन्तु सहज काव्यात्मक अभिव्यक्ति ने उसे जनप्रिय बना दिया है। चंपानगरी में सेठ ऋषभदास का पुत्र सुदर्शन रुपवान, गुणवान और शील-सम्पन्न युवक था । जिन धर्म में निरूपित श्रावक - व्रतों का वह अनुपालक था । सुन्दरी मनोरमा उसकी भार्या थी । बार-बार उपसर्ग आने पर भी सुदर्शन शील भ्रष्ट नहीं होता है । शीलसंपन्न होकर धर्मघोष स्थविर के पास वह दीक्षित होता है । अन्त में निर्वाण को प्राप्त होता है । आचार्य भिक्षु ने पूर्वदीप्ति शैली में शीलव्रत की सुन्दर व्याख्या की है । सुदर्शन रत्नत्रय से पूर्ण प्रतिष्ठित चरित्र है । इसीलिए उसके गुणों को सुनकर कायर भी शूर-वीर हो जाते हैं। 1. विस्तृत विवेचन हेतु द्रष्टव्य है- “तुलसी प्रज्ञा” (अनुसंधान त्रैमासिकी) में प्रकाशित मुनि सुखलालजी की लेख शृंखला "तेरापंथ”" के आधुनिक राजस्थानी संत साहित्यकार
SR No.022847
Book TitleRajasthani Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManmohanswarup Mathur
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year1999
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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