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उदा. NI अपत्य सहित जे कामिनी, पुरुष चाल्यो परदेश ॥ आठ वरष वाट जोश्ने, अन्य
नर साथ प्रवेश ॥१॥ संतान रहित जे ब्राह्मणी, कंत गयो व्यापार ॥ चार वरष लगे वाट जोश, पछे अवर जरथार ॥॥स्मृति वाक्यम् ॥अष्टौ वर्षाणि पश्येत, ब्राह्मणी पतिते पतौ ॥ अप्रसूता च चत्वारि, पुरतोऽन्यः समाचरेत् ॥ वचन सुणी तापस तणां, मंझप हरख्यो ताम ॥ रांमी ब्राह्मणी परणी, माणी तेहनुं नाम ॥३॥ लोग नोगवतां बेहु थकी, पुत्री हुश् गुण माल ॥ वर्ग रंना जाणे अवतरी, बाया नाम रसाल ॥४॥ आठ वरषनी जव थर, (क) मंडपकौशीक सार ॥ सांजल नामनी तुज कहुं, तीरथ जात्रा कीजे अपार ॥५॥ गया (पुत्री) मूकीशुं किहां, गम कहो मुज खास ॥ तापसी कहे खामि सुणो, मेलो थापण शंकर पास ॥६॥ मंडपकौशीक एम नणे, सांजल नोली नार ॥ हर लंपट चंचल सदा, नवि बोडे कन्या सार ॥ ७॥ कामनी कहे बोलो करुं, महादेव त्रिजुवन धीश ॥ लोक सहु पूजे तेहने, व्यभिचारी नोहे ईश ॥ ७॥ तापस कहे सुण कामनी, ईश्वरचरित्र कहुं जेह ॥ महीमंमल मोटो जलो, कैलास पर्वत तेह ॥ ए ॥ गौरी शंकर सुख जोगवे, करे तप जप धरी ध्यान ॥