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धर्मपरी०
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ढाल वेरमी: वीर वखाणी राणी चेलणाजी-ए देशी.
वामन रूप धरी केशवोजी, कपट करी मागे दान ॥ बेतरशे तुने बल करीजी, जजमान गइ लुज सान | सूरिजन सांजलजो कथाजी ॥ ए यांकणी ॥ १ ॥ दान म देजो एहनेजी, मानो श्रमारो तमे बोल | बलि बोल्या मम बोलनोजी, शुक्र तमे नवी जाणो तोल ॥ सू० ॥ २ ॥ वासुदेव जाचक थर आवीयाजी, धन धन मुज अवतार ॥ जे जोइए ते मागो वामणाजी, राज रिद्धि श्रापुं अपार ॥ सू० ॥ ३ ॥ वामन वाडव बोलीयोजी, मारे नहीं बहु काज ॥ मढली करवाने कारणेजी, त्रिण क्रम यो महाराज ॥ सू० ॥ ४ ॥ आणी उदक कोरे करवमेजी, दान दीए बलि सार ॥ जाचक मोटा श्रीकंठनेजी, दस्त मांहीं धरे जलधार ॥ सू० ॥ ५ ॥ नालु शुक्रे रुंधीजी, डाज घाली फोड्यं नेत्र ॥ दानव गुरु काणो हुजी, स्वस्ति कह्यो द्विज मित्र ॥ सू० ॥ ६ ॥ नारायण अंग वधारी योजी, ब्रह्मलोके लाग्यो शरीर ॥ भूमि सघली जरी बेहु क्रमेजी, एक क्रम मागे ते धीर ॥सू०॥ 9 ॥ बलि राजाए पुंठ धरीजी, वचन राखवाने काज ॥ वैकुंठे पग मूक्यो त्रीजोजी, चांपवा लाग्यो बलि राय ॥ सू०॥ ८ ॥ तुष्टमान दुवा जग
खंग १
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