________________
- उदा. | लीयो अवतार ए पांचमो, वसिष्ठ गुरु २ तास ॥ नित्य नमे ते गुरु जणी, राखीने विश्वास ॥१॥ भृगु क्षेत्र नणी चालीयो, बांधवा बलिने उपाय ॥ जाग। मंडपमा श्रावीयो, सौ सजान पुंठे थाय ॥२॥ हाथ पाय टुंका अजे, धोतकांबर अंग ॥ चुयांचली वाली काबमा, मस्तक फालीजं चंग ॥३॥ बाग लीयो कर एकवमो, दर्भ पुर्वा वली लीध॥ कंठ जनो निरमली, कसवटे टीपणुं कीध ॥४॥ हादशा | तिलक कर्यां जलां, चार जणे मुख वेद ॥ अचंच्या हिज देखीने, अपर वचन हुवा बेद ॥५॥ काठीधरे पूज्यो वामणा, कहोजी खरूप तुम देव ॥ हिज बोल्यो नाश् श्रावीयो, जाचवाने बलि हेव॥६॥ हुँ जीखारी ब्राह्मणो, अमने मेलवो चुप ॥al रखवाले जर विनव्यु, वामन कयुं स्वरूप ॥ ७॥ बलि श्राव्या वामन कने, वेद सुणी हरख्यो चित्त ॥ कर जोमीने बलि जणे, मागो वंडित वित्त ॥ ॥ देश गाम मागो घणां, मागो मंदिर कलत्र ॥ गाय नेंस मागो पूजती,गज रथ घोमा बत्र ॥ ए ॥ मणि माणिक मोती घणां,नू कनक रूपुंफार॥शुक्र नणेसांजल बलि, विप्रनहीं एसार॥१०॥