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देशुं शिदा सवार लालरे ॥ श्राज पढ़ी जेम एहवं, न कहे कूड़ें केवार लालरे ॥ सा
ए॥ अरुणोदय देखी हवे, कुकडे कीधो सोर लालरे ॥ श्राव्यो मंदिर श्रापणे, राजा मंत्री चोर लालरे ॥ सा० ॥ १० ॥ परनाते परिवारशुं, परवरीयो नूपाल लालरे ॥ अहदासने घर श्रावीयो, शेठ रतन जरी थाल लालरे ॥ सा ॥ ११॥ श्रागल मूकी नेटणु, कर जोमी पाये लाग लालरे ॥ उनो एम विनति करे, माहरो मोटो नाग| लालरे ॥ सा ॥ १२॥ जंगम तीरथ माहरे, घर श्राव्या महाराज लालरे ॥ प्रसन्न | | यश् प्रनु नाखीए, मुज सरि जे काज लालरे ।। सा० ॥ १३ ॥ अवनिपति कहे धर्म-| नी, कथा कही तुमे रात लालरे ॥ निंदी नारी जेणीए, दाखवो ते मुज जात लालरे | ॥ सा० ॥ १४ ॥ निग्रह करशुं तेहनो, सुणी शेठ कांखो थाय लालरे ॥ शुं नूप पोते। श्रावीयो, के पुर्जने कडं जाय लालरे ॥ सा ॥ १५ ॥ असत्ये नृप दंग पामीए, सा-1 चे नारी नाश लालरे ॥ एम त्यां जन कहेवे सहु, अर्हदास रह्यो विमास लालरे ॥ सा ॥ १६ ॥ कुंदलता निसुणी एशें, आवी नृपने पास लालरे ॥ उष्ट नारी ते ढुं श्रद्धं, पण सुणजो अरदास लालरे ॥ सा ॥ १७ ॥ धणी शोकने श्रावीयो, परियागत |जिनधर्म लालरे ॥ पितर न जाणे माहरा, श्रीजिनशासन मर्म लालरे ॥ सा० ॥१७॥