________________
धस्यो तेणी वार ॥ फिट पापी महा रंगना, तापसी कीध व्यभिचार ॥ ५ ॥ पर नारी तें जोगवी, ते उपर तुज रंग ॥ सहस्र शरीरे नीकलो, जगाकार उत्तंग ॥ ६ ॥ तापसने श्रापे करी, जोनि हुइ ततकाल ॥ मघवा शरीर जर्यु खरं, अशुभ दीसे विकराल ॥ ७ ॥ पाय लागी इंद्र विनवे, सांजल तुं ऋषिराज || लोक हांसुं होशे घणुं, लागशे बोहोली लाज ॥ ८ ॥ क्षमा करो खामि तुमे, जग टालो मुज अंग ॥ ढुं अपराधी पापीयो, मुज़ उपर करो रंग ॥ एए ॥ इंद्र वचने उपशम करी, गौतम बोल्या ताम ॥ दोजो माहारी कृपा थकी, सहस्र लोचन अजिराम ॥ १० ॥ सहस्राक्ष नाम तेहनो दुवो, वेद पुराणे तेह || लंपट पासे केम मेलीए, बाया पुत्री एह ॥ ११ ॥ तापसी कहे तापस सुणो, बृहस्पति विद्यानो वास ॥ सुर सघलानो गुरु जलो, पुत्री ग्वो तेइ पास ॥ १२ ॥ तापस कहे सुण कामनी, तुं मोटी बे अजाण ॥ जाइनी जामिनी जोगवी, केम ठवीए होय हा ॥ १३ ॥
ढाल चौदमी.
बावा किसनपुरी, तुम विना मढियां उजड पमी - ए देशी. ताम तापस कहे सुख नार, सुर सघला लंपट निरघार ॥ साजन वात सुणो, सां