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जैन धर्म, दर्शन एवं संस्कृति की प्राचीनता * 93
बौद्ध धर्म से ही संबंधित किया है। बौद्ध धर्मोपदेशकों ने भारत से बाहर जाकर शताब्दियों तक धर्म-प्रचार किया और जैन या वैदिक धर्मावलंबी प्रचारकों ने ऐसा नहीं किया होगा, यह बात समझ में नहीं आती है। अतः ये यात्रा विवरण और प्रस्तुत तीर्थों का स्थान निर्धारण अवश्य ही इनके शोध का मार्ग-प्रशस्त करते हैं। इसे हम पुरातात्विक साक्ष्यों के द्वारा परख कर और अधिक प्रामाणिक सिद्ध कर सकते हैं।
पुरातात्विक साक्ष्य : इतिहास का वह हिस्सा जिसके सम्बन्ध में लिखित साधन नहीं मिलते, प्रागैतिहासिक काल कहा जाता है। जिस काल में मानव सभ्य बन गया और लिखित साधन उपलब्ध होते हैं उसे आद्य इतिहास कहा जाता है। हडप्पा संस्कृति को आद्य इतिहास कहा जा सकता है। इसके पूर्व 2600 ई.पू. से पहले प्राक् इतिहास कहा जाता है। भारत में प्राचीनतम लिखित सामग्री जो पढ़ी गई है, अशोक के अभिलेख हैं, जो ईसा की तीसरी सदी पूर्व के हैं। इससे पूर्व के गौतम बुद्ध और महावीर की ऐतिहासिकता में तो कोई संदेह नहीं है।
प्रागैतिहासिक काल की जानकारी हमें केवल पुरातात्विक साधनों के आधार पर होती है। पुरातात्विक स्रोत को मुख्य रूप से छह भागों में बाँटा जा सकता है - 1. उत्खनन, 2. सिक्के, 3. अभिलेख, 4. स्मारक या भवन, 5. चित्रकला तथा 6. मूर्तियाँ।
___ 1. उत्खनन : सर जॉन मार्शल के नेतृत्व में 1901 ई. में ही भारत में ऐतिहासिक स्थलों पर खुदाई करके प्राचीन सामग्री प्राप्त की गई, जिसके आधार पर प्राक् इतिहास व आद्य इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है। इस काल से सम्बन्धित जानकारी अग्र लिखित स्थलों से प्राप्त होती है :
आदमगढ़, अहाड़, आलमगीरपुरा, आमरा, अतरंजी, खेड़ा, बागौर, मदाने, भोगत्राओं, ब्रह्मगिरी, चन्दोली, चिरांद, दायमा, बाद, एराण, हड़प्पा, इमामगाँव, कालीबंगन, खण्डी विली, कोलडिहवा, ललितपुर, लेखहिता, महेश्वर, मोहन-जोदड़ो, नागरी, आदियल, अहिच्छत्र, अम्बाखेरी, अंजीरा, बहदराबाद, बरगाँव, भीम बेटाका, वीर भानपुरा, बूर्जहोम, चौतेरो, उवरकोट, दाओजलीह, दिंग, वल्लुर, हस्तिनापुर, जोखे कामथ, किलेगुल मुहम्मद, कोटदिजि, लंघनज, लोथल, मास्की, मुन्दीजक, नालंदा, नाल- नवदातोली, नोह, पंचमपल्ली, पतने, पेढ़म्बी, प्रकाश, रुपरसराय, नाहरराय, सिंहभूमि, सूतकागेनदार, टेक्कल कोट, विसोदी, नासिक, नेवासा, पेठान, पाण्डुराजरदीन, पलवीय, पिकलीहल, राणा गुण्डाय, संगनकल्लु, सियहदम्ब, सोनेगाँव, टीनर सापिर, उतनुर, पालबाय आदि।
भारत में स्थित उपर्युक्त स्थलों की खुदाई से प्राप्त पत्थर, हड्डी के औजार, मकानों के खण्डहर, मिट्टी के बर्तन आभूषण आदि वस्तुओं के स्तरों की जानकारी होती है। पुरापाषाण युग के कुछ पत्थरों के खुरदरे औजार सोहन नदी (पाकिस्तान)