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42* जैन संस्कृति का इतिहास एवं दर्शन
30. हय लक्खणं - घोड़े के लक्षण जानने की कला 31. गय लक्खणं - गज (हाथी) के लक्षण जानने की कला 32. गोलक्खणं - गाय एवं वृषभ के लक्षण जानने की कला 33. कुक्कुड लक्खणं - कुक्कुट के लक्षण जानने की कला 34. मिंढय लक्खणं - मेढ़े के लक्षण जानने की कला 35. चक्कं लक्खणं - चक्र के लक्षण जानने की कला 36. छत्र लक्खणं - छत्र के लक्षण जानने की कला 37. दंड लक्खणं - दण्ड के लक्षण जानने की कला 38. असि लक्खणं - तलवार के लक्षण जानने की कला 39. मणि लक्खणं - मणि के लक्षण जानने की कला 40. कागणि लक्खणं - काकिणी (चक्रवर्ती के विशेषरत्न) के लक्षण जानने
की कला 41. चम्म लक्खणं - चर्म के लक्षण जानने की कला 42. चन्द्र लक्खणं - चन्द्र के लक्षण जानने की कला 43. सूर चरियं - सूर्य आदि की गति जानने की कला 44. राहु चरियं - राहु की गति जानने की कला 45. गह चरियं - ग्रहों की गति जानने की कला 46. सौभाग करं - सौभाग्य का ज्ञान 47. दोभाग करं - दुर्भाग्य का ज्ञान 48. विज्जागयं - रोहिणी, प्रज्ञप्ति आदि विद्या संबंधी ज्ञान 49. मंत गयं - मन्त्र साधना आदि का ज्ञान । 50. रहस्सगयं - गप्त वस्त को जानने का ज्ञान 51. समासं - प्रत्येक वस्तु के वृत का ज्ञान 52. चारं - सैन्य का प्रमाण आदि जानना 53. पडिवूहं - प्रतिव्यूह रचने की कला 54. पडिचारं - सेना को रणक्षेत्र में उतारने की कला 55. वूहं - व्यूह रचने की कला 56. खंधावारमाणं - सेना के पड़ाव का जमाव जानना 57. नगरमाणं - नगर प्रमाण जानने की कला 58. वस्थुमाणं - वस्तु का प्रमाण जानने की कला 59. खंधावार निवेसं - सेना का पड़ाव डालने का परिज्ञान 60. वत्थु निवेसं - प्रत्येक वस्तु के स्थापन करने की कला 61. नगर निवेसं - नगर निर्माण का ज्ञान