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तत्त्व मीमांसा * 377
भी ज्ञात होता है, कि मेरी आत्मा भवान्तर में अनुसंचरण करने वाली है, जो इन दिशाओं-अनुदिशाओं में कर्मानुसार संचरण करती है। जो सब दिशाओं और विदिशाओं में गमनागमन करती हैं, वही आत्मा है। वही मैं हूँ। अतः आत्मा का अस्तित्व प्रमाणित होता है।
___ अर्थापत्ति : जिसके बिना जो पदार्थ अनुपपन्न है, उसे देखकर उस पदार्थ की कल्पना करना अर्थापत्ति प्रमाण है। जैसे ऊपर पहाड़ पर हुई वर्षा के बिना गिरी नदी में बाढ़ सम्भव नहीं है, तो गिरि-नदी में आई हुई बाढ़ को देखकर पहाड़ पर हुई वर्षा का बोध होना अर्थापत्ति प्रमाण है। आत्मा के बिना हर्ष, शोक, इच्छा, प्रयत्न, सुखदुःख आदि भावों की अनुपपत्ति है। ये भाव स्पष्टतया प्रतिभासित होते हैं, अतएव वे आत्मा के अस्तित्व को सिद्ध करते हैं।
इनके अतिरिक्त अध्यवसाय इच्छा, संकल्प शक्ति और भावनाएँ केवल भौतिक मस्तिष्क की उपज नहीं कही जा सकती। क्योंकि किसी भी भौतिक यन्त्र में स्वयं चलने, टूटने पर स्वयं को सुधारने और अपने सजातीय को उत्पन्न करने की क्षमता नहीं देखी जाती। अवस्था के अनुसार बढ़ना, घाव का अपने आप भर जाना, जीर्ण हो जाना आदि ऐसी अवस्थाएँ हैं, जिनका समाधान केवल भौतिकता से नहीं हो सकता। हजारों प्रकार के यन्त्रों का आविष्कार जगत् के विभिन्न कार्य-कारण भावों को स्थिर करना, गणित-ज्योतिप-साहित्य-विज्ञान सम्बन्धी तरह-तरह की नई-नई स्थापनाएँ किसी चैतन्यशाली द्रव्य का ही कार्य हो सकता है। कोई जड़ तत्त्व ये क्रियाएँ नहीं कर सकता।
उपर्युक्त बातें आत्मा के अस्तित्व को प्रबलता के साथ प्रमाणित करती है। इस प्रकार प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, आगम और अर्थापत्ति रूप प्रमाण पञ्चक तथा अन्य अनुभवों से भी आत्मा सर्व प्रमाण सिद्ध प्रमाता है।
आत्मा के सन्दर्भ में कुछ आधुनिक विचारकों के मत भी अब सकारात्मक रूप मे अधिक मिलने लगे हैं - वैज्ञानिक मैकडूगल - कहते हैं, कि "हम इस बात को मानने के लिए बाध्य हैं, कि कथित मानसिक चेष्टाओं का कोई स्वतन्त्र अस्तीत्व नहीं है, वरन् ये एक ही पदार्थ या मूलतत्त्व की अवस्थाएँ विशेष हैं। हमको यह पदार्थ अमूर्तिक मानना होगा। क्योंकि यही पदार्थ मनुष्य के सम्पूर्ण ज्ञान का आधार है, इसलिए इस पदार्थ को मनुष्य की आत्मा कह सकते हैं।''
___ प्रो. अलबर्ट आइंस्टीन - "मेरा विश्वास है, कि सारी प्रकृति में चेतना काम कर रही है।"
जे.ए. थॉमसन - पृथ्वी पर जीवन कैसे प्रारंभ हुआ? इसका विज्ञान के पास कोई उत्तर नहीं है।
'दि ग्रेट डिजाइन' एक पुस्तक है, जिसमें विश्व के प्रमुख वैज्ञानिकों ने अपनी