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सामाजिक, राजनैतिक व सांस्कृतिक विकास पर प्रभाव * 159
व्याकरण में सम्मिलित है। धातु पाठ, गणपाठ, उणादि, लिंगानुशासन एवं सूत्रपाठ रूप पञ्चांग व्याकरण अध्ययनीय माना गया है।
आदि तीर्थंकर ने अपनी दोनों पुत्रियों को पद ज्ञान रूपी दीपिका से प्रकाशित हुई समस्त विद्याओं की शिक्षा दी थी। अतएव स्पष्ट है, कि
पदज्ञान से ही अन्य शास्त्रों का बोध प्राप्त होता है। 3. छन्दशास्त्र : अक्षर, अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा, मात्रागणना तथा
यतिगति आदि से सम्बन्धित विशिष्ट एवं नियमों से नियोजित पद्य रचना छन्द कहलाती है। छन्दों की उत्पत्ति, परम्परा, भेद-प्रभेद, जाति, लक्षण, उदाहरण, रचनाविधि, विस्तार संख्या, वर्गीकरण आदि छन्द सम्बन्धी विविध पक्षों का निरुपण करने वाला शास्त्र छन्दशास्त्र कहलाता है। छन्द
को वेदांग कहा गया है, इसकी व्यवस्थित परम्परा पिंगलाचार्य के 'छन्दसूत्र' से उपलब्ध होती है।
__ भगवान ऋषभदेव ने प्रस्तार, नष्ट, उद्दिष्ट के साथ मात्राओं के लघु-गुरु भेद, छन्दों के विभिन्न रूप यति-विराम के नियम एवं अध्वयोग आदि का वर्णन किया है। काव्य और वांङ्गमय को समझाने के लिए
छन्द ज्ञान आवश्यक था। 4. ज्योतिष शास्त्र : शुभकार्यों के लिए तिथि, नक्षत्र और लग्नशुद्धि का
विचार ज्योतिष के अन्तर्गत किया जाता है। यथा विवाह, दृष्टि निर्माण, यात्रा आदि के लिए मुहुर्त शुद्धि। ज्योतिष चक्र, संक्रांति, ताराबल, चन्द्रबल, उदय, अस्त, स्वोच्च जन्मकुण्डली में स्थित ग्रहों का फलादेश,
ग्रह और राशियों के स्वरूप ज्योतिष शास्त्र में ही आते हैं। अनुयोग रूप साहित्य : वर्ण्य विषय वर्ग और स्थापत्य की दृष्टि से आचार्यों ने समस्त श्रुत को चार अनुयोगों में विभक्त किया है। प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग और द्रव्यानुयोग।
जिस साहित्य में सत्पुरुषों का चरित्र वर्णित रहता है, वह प्रथमानुयोग कहलाता है। करणानुयोग में तीनों लोकों का विस्तार, आयाम, क्षेत्रफल रचना एवं अन्य समस्त बातों का वर्णन रहता है। गणित और ज्योतिष सम्बन्धी रचनाएँ भी करणानुयोग में सम्मिलित हैं। चरणानुयोग में श्रावकाचार और मुनि आचार रूप धर्म का विस्तार पूर्वक निरुपण पाया आता है। द्रव्यानुयोग में द्रव्य, गुण, पर्याय, अस्तिकाय, तत्त्व, कर्मसिद्धान्त प्रभृति का स्वरूप और भेद-प्रभेद अंकित है। इस प्रकार वर्ण्य विषय और शैली की दृष्टि से अनुयोगों में वाङ्मय का विभाजन किया गया है। ग्यारह अंग और चौदह पूर्व रूप साहित्य का उल्लेख भी आता है।