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सामाजिक, राजनैतिक व सांस्कृतिक विकास पर प्रभाव 141
करने वाला द्विज शुद्ध कुल कहलाता है । कुलाचार का पालन करना क्षत्रियों के लिए भी आवश्यक माना गया है। सामाजिक दृष्टि से भी यह संस्था पर्याप्त महत्व की है1. पारिवारिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाये रखने एवं समाज को अनाचार से बचाने के लिए कुलाचार का पालन करना आवश्यक है। 2. विवाह संस्था की शुद्धि कुलाचार द्वारा ही संभव है।
3. रक्त सम्बन्ध की शुद्धि भी कुलाचार पर ही आधारित है।
4. परिवार की सर्वव्यापकता का कारण कुलाचार है।
5. वैयक्तिक जीवन के साथ सामाजिक जीवन को भी नियन्त्रित करता है और सामाजिक एवं आर्थिक शक्तियों को कुलाचार एक सामान्य सूत्र में निबद्ध करता है ।
6. कला साहित्य, संगीत, नृत्य, मूर्ति एवं चित्रकला सम्बन्धि सौंन्दर्य चेतना को कुल के बीच उद्भूत करना है ।
7. रीति-रिवाजों की सुव्यवस्था के साथ कुलाचार एक पक्षीय परिवारों का एक वास्तविक संगठन उत्पन्न करता है, जो सामुदायिक भावना के साथ उद्योग और व्यवसाय विषयक विधि-निषेधों का प्रवर्तन करता है ।
9. परिवार संस्था : परिवार सार्वभौमिक समाज संस्था है। इसे समाज का आधारभूत माना गया है । यह संस्था काम की स्वाभाविक वृत्ति को लक्ष्य में रखकर यौन सम्बन्ध और सन्तानोत्पत्ति की क्रियाओं को नियन्त्रित करती है, यह भावनात्मक घनिष्ठता का वातावरण तैयार कर बालकों के समुचित पोषण और सामाजिक विकास लिए आवश्यक पृष्ठभूमि का निर्माण करती है । इस प्रकार व्यक्ति के सामाजीकरण एवं सांस्कृतीकरण की प्रक्रिया में परिवार का महत्वपूर्ण योगदान रहता है । सामाजिक दृष्टि से परिवार के निम्नलिखित कार्य हैं :
1. स्त्री और पुरुष के यौन संबंध को विहित और नियन्त्रित करना।
मानव
2. वंशवर्धन के लिए सन्तान की उत्पत्ति, संरक्षण और पालन करना, जाति के क्रम को आगे बढ़ाना ।
3. गृहस्थी में स्त्री पुरुष का सहवास और नियोजन ।
4. जीवन को सहयोग एवं सहकारिता के आधार पर सुखी और समृद्ध
बनाना ।
5. व्यावसायिक ज्ञान, औद्योगिक कौशल के हस्तान्तरण का नियमन एवं वृद्ध, असहाय एवं बच्चों की रक्षा का प्रबन्ध सम्पादन ।
6. मानसिक विकास, संकेत (Suggestion ), अनुकरण (I metation), एवं सहानुभूति (Sympathy) द्वारा बच्चों के मानसिक विकास का वातावरण प्रस्तुत करना ।