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________________ आहार बिधि में प्राधाकर्मी आदि अनेक दोष लगते हैं, जिनका विस्तृत खुलासा पात्र की चर्चा में किया गया है, वहां से समक लेना चाहिये दिगम्बर जैनेतर के घरका आहार पानी नहीं लेना चाहिये ! कारण ! वे पानी को छानते नहीं हैं, और विना स्नान कराये ही गाय भैंस का दुध निकाल लेते हैं । ये पानी और दूध जैन मुनि के लीये अकल्प्य हैं। . जैन-भगवान् श्री ऋषभदेवजी ने जैनेतरो के घरका आहार पानी लीया है, चौथे आरे के बीच २ में जैन धर्म का लोप हो गया था, जब भ० श्रीशीतलनाथजी वगैरह ने भी जैनेतरो से आहार पानी लाया है । इस हिसाब से तो जैन मुनि को जैनेतर का आहार पानी कल्प्य है । मगर दिगम्बर मुनिजी उनसे आहार पानी लेते नहीं है, कारण ? जैनेतर लोग नग्न को अपने घर में लाने को हीचकते हैं एवं आहार पानी देने में भी घृणा करते हैं, और इस हालत में दि० मुनि भी. उनके घर जाते नहीं है । कुछ भी हो, जैन मुनि विवेकी अजैनो से आहार पानी ले सकते हैं। दिगम्बर जैन मुनि को शूद्र का आहार पानी नहीं लेना चाहिये। . .. जैन-दिगम्बर पं० आशाधरजी श्रावका चार, में लीखते. है कि-जाति हीन भी काल आदि के निमित्त से धर्मी बन सकता है । वैसे शूद भी उपस्कार से शुद्ध हो सकता है, इत्यादि । इस प्रकार दिगम्बर समाज में शुद्र की शुद्धि मानी जाति है फिर दिगम्बर मुनि को उसके आहार पानी लेने में हरजा भी क्या है ! मगर अाज तो वे जनेतरो का भी प्राहार पानी नहीं लेते हैं फिर उस शुद्र का कैसे ले सके !
SR No.022844
Book TitleShwetambar Digambar Part 01 And 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanvijay
PublisherMafatlal Manekchand
Publication Year1943
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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