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दुवे शब्द से यह समस्या हल हो जाती है, अतः यहाँ 'दुवे' शब्द बडा कीमती शब्द है। (२) "कवोय" शब्दपरविचार
"कवोय" यह एक कीस्मकी खाद्य वनस्पति है । जो सारी की सारी उपस्कृत हो सकती है, जो बहोत दिनों तक रह सकती है और जो खाने से गरमी रक्तविकार पित्तज्वर और पेचीश वगेरह रोगो को शमन करती है।
जिसका संस्कृत पर्याय “कपोत” होता है ।
कपोत और कपोत से बने हुए शब्दो के अर्थ निम्नप्रकार भिन्न २ होते हैं
कपोत-एक किस्मकी वनस्पति (सुश्रुतसंहिता) कपोत-पारापतः कलरवः कपोतः कमेडा कबूतर कपोत-पारीसपीपर (वैद्यक शब्द सिंधु) कपोत-कूप्मांड, सफेद कुम्हेडा, भुराकोला कपोतीवृत्ति-सादा जीवन निर्वाह
कापोती-कृष्णकापोती, श्वैतकापोती, वनस्पति (सुश्रुत०) कपोतक-सज्जीखार (जै० स० ४३) कपोतवेगा-ब्राह्मी कपोतचरणा-नालुका
कपोतसार-सुरख सुरमा कपोतपुट-आठ०
कपोतांघ्रि-नलिका कपोतखाणा-नलुका
कपोतांजन-हरा सुरमा कपोतबंका, ब्राह्मी, सूर्यफुलवल्ली कपोतांडोपमफल-नीबुमेद कपोतवा-लायची, नालुका कपोतिका-मूलाकोला, (निघंटुरत्नाकर)
(जै० स० ४३) पारावते तु साराम्लो, रक्तमालः परावतः । आखेतः सारफलो, महापारावतो महान् ॥१३९॥
कपोताण्ड तुल्यफलो ॥१४०॥
(अभिधानसंग्रह निघंटु) कापोत-सज्जीखार (भाव०प्र०नि०), पारापतपदी-काङ्गुनी,