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पास इस बातका कोई सबल प्रमाण भी नहीं कि जिस के द्वारा हम महावीर को ब्रह्मचारी सिद्ध कर सकें। भगवान् महावीर के जीवन सम्बन्धी प्रन्थो में “ कल्पसूत्र' अपेक्षाकृत अधिक पुराना है । अतः उसके कथन का प्रमाणभूत होना अधिक सम्भव है इसके सिवाय और एक ऐसा कारण है जिससे उनके विवाह का होना सम्भवनीय हो सकता है।"
यह बात निर्विवाद है कि भगवान महावीर अपने मातापिताके बहुत ही प्रिय पुत्र थे।
वे स्वयं भी माता-पिता और भाई पर अगाध श्रद्धा रखते थे यहाँ तक कि उन्होने अपने भाई के कथन से दीक्षा सम्ब-. न्धी उच्च भावनाओं को दो वर्ष के लिये मुल्तवी कर दिया। ऐसी हालत में क्या माता-पिता की इच्छा उनका विवाह कर देने की न हुई होगी? क्या तीस वर्ष की अवस्था तक उन्होंने अपने प्राणप्रिय कुमार को विना सह धर्मिणी के रहने दिया होगा ?। जिस कालमें विना बहूका मुंह देखे सास की सद्गति ही नहीं बतलाई गई है। उस कालकी सासुएँ और जिसमें भी महावीर के समान प्रतिभाशाली पुत्र की माता का विना बहूके रहना कमसे कम हमारा दृष्टि में तो बिल्कुल अस्वाभाविक है, इसके अतिरिक्त यह भी प्रायः असम्भव ही मालूम होता है कि महावीरने इस बातके लिए अपने माता-पिता को दुःखित किया हो,? ये सब ऐसी शङ्कायें हैं जिनका समाधान कठिन है ऐसी हालत में यदि हम मान लें कि भ० महावीरने विवाह किया था तो कोई अनुचित न होगा।
(भगवान महावीर पृ० ११३, १९४) सारांश-श्वेताम्बर दिगम्बर इन दोनों के शास्त्र से सप्रमाण पाया जाता है कि-वासुपूज्य मल्लीनाथ नेमिनाथ पार्श्वनाथ और महावीर स्वामी ये पांचे तीर्थकर 'राजकुमार थे, राजा नहीं बने थे, उन्होंने राजकुमार दशामें ही दीक्षा का स्वीकार किया।
श्वेताम्बर शास्त्र युवराज या राजकुमारों को "कुमार" शब्द . से और अविवाहितो का अलगरूप से परिचय देते हैं, और बताते हैं, कि