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[१८] काम करने चाहिये। . (जैन मित्र, व० ३६ अं० २३ पृ० ३६० ता० १४-४-३८) ___ इन वैज्ञानिक प्रमाणों से निर्विवाद है कि स्त्री शान्ति की इच्छुका है, नम्र, वीर, साहसिक, सहनाल और कोमल होती है । उससे कठोर काम होना मुश्किल है । माने-स्त्री साहस, नम्रता, वीरता इत्यादि गुणों से कर्म की निझरा करन वाली और मोक्ष की अधिकारिणी है। पुरुष के योग्य कठोर काम करने में असमर्थ होने से सातवें नरक में नहीं जाती है। - इसके अलावा वर्तमान में भी पुरुषों की अपेक्षा स्त्री जाति में अधिक सहृदयता होने के अनेक प्रत्यक्ष प्रमाण मिलते हैं जैसेखून, कतल, चोरी, बलात्कार. लूट और दगावाजी इत्यादि अधम कार्यों में फीसदी पुरुष और स्त्रियों की औसत कितनी २ है ! इसका खुलासा अदालती दफ्तरों से मिल सकता है । साधारण तया ऐसे कर कार्यों में मरदों की संख्या ही अधिक मिलेगी।
जब देवदर्शन, सामायिक, तपस्या इत्यादि कार्यों में तो स्त्रियों की संख्या पुरुषों से कई गुनी बढ़ जाती है ।
एक महर्षि ने ठीक ही कहा है सप्तम्यां भुवि नो गतिः परिणनिः प्रायो न शास्त्राहवे । नो विष्णु प्रतिविष्णु पातककथा यस्या न देशव्यथा ॥ शीलात् पुण्यतनो जनो मृदुतनोः तस्या प्रशस्याशयः कः सिद्धि प्रतिपद्यते न निपुणः तत्कर्मणां लाघवात् ॥२॥ अर्हत्जन्म महे महेन्द्र महिता लोकंपृणे या गुणैः ॥ ३ ॥
इस प्रकार भिन्न २ प्रमाणो की उपस्थीति में मानना पड़ता है कि स्त्री सातवें नरक में न जाय, किन्तु मोक्ष में जाय, यह होना सर्वथा स्वाभाविक है। .... ..
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