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भाग १ पृष्ट १३४ के अनुसन्धानमें
स्त्रीदीक्षा-मुक्ति के पाठ. पमत्तस्स उक्कस्संतरं उच्चदे ।+++ तिण्णिअंतो मुहुत्तभहिय अवस्से णूण अठेदालीस ४८ पुवकोडिओ पमत्तुक्कस्स अंतरं होदि । (पृ० ५२)
अपमत्तस्स उकस्संतरं उच्चदे ।
तीहिअंतो मुहुत्तेहिं अब्भहिय अवस्सेहिं उणाओ अटेदालीस पुव्व कोडिओ उक्कस्स अंतरं । पजत्त मणुसिणीसु एवं चेव । णवरि पज्जत्तेसु चउवीस पुष्वकोडिओ, मणुसिणीसु अट्ठ पुवकोडिओत्ति वत्तव्वं (पृ० ५३)
इत्थी वेदेसु पमत्तस्स उच्चदे ।
अवस्सेहिं तीहिं अंतो मुहुत्तेहिं ऊणिया त्थीवेदछिदी लद्धमुक्कस्संतरं । एवमपमत्तस्स वि उक्कस्संतरं भाणिदव्वं, विसेसा भावा (पृ० ९६)
(छक्खंडागमे जीवट्ठाणं-अंतराणुगमे अंतरपरूवणं पु. ५वा ) वेदाणुवादेण इत्थि वेदएसु दोसु वि अद्धासु (अपूव्व-अणिवट्टिकरणेसु) उवसमा पवेसेण तुल्ला थोवा (१० होनेसे) ।। सूत्र-१४४ ॥ (पृ० ३००)
खवा संखेज्जगुणा (२० होनेसे) ।सूत्र-१४५॥ अप्पमत्त संजदा अक्खवा अणुवसमा संखेज्जगुणा ॥१४६॥ पमत्तसंजदा संखेज्जगुणा ॥१४७॥ संजदा संजदा असंखेज्जगुणा ॥१४८॥
पमत्त अपमत्त संजदाणे सव्वथोवा खइय सम्मादिछी ॥१५६॥ (पृ० ३०३)
उवसम सम्मादिछी संखेज्जगुणा ॥ १५७॥ वेदग सम्मादिट्ठी संखेज्जगुणा ॥१५८॥ एवं दोसु अद्धासु ॥१५९॥
इसीप्रकार अपूर्व करण और अनिवृत्तिकरण, इन दोनों गुणस्थानोमें स्त्री-वेदिओं का अल्प बहुत्व है ॥ १५९ ॥ (पृ० ३०३)
सव्व थोवा उवसमा॥१६०॥ (प्रवेशसे नहीं, संचयसे)(पृ० ३०४) खवा संखेज्जगुणा ॥१६१॥
(षड खंडागम-जीवस्थान-अल्पबहुत्बानुगम-स्त्रीवेदी अल्पबहुत्व प्ररूपणाधवला टीका मुद्रित पुस्तक पांचवा )