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________________ [ ९६.] १६-नागकुमार ने वैश्यापुत्रियों से लग्न किया और अंत में मुनि दीक्षा धारण की। दिगम्बर मुनि सत्य की और दिगम्बर अर्जिका ज्येष्ठा का न्यभिचारजात पुत्र रुद्र दिगम्बर मुनि हो गया। कार्तिकपुत्र का राजा अग्निदत्त और उसीकी ही पुत्री कृति के संभोग से "कार्तिकेय” और “वीरमती" हुए, कार्तिकय मुनि दीक्षा धारण कर दिगम्बर मुनि हुए। (मंदा जैन कलकत्ताबाके का लेख 'जैनमित्र' १.४०, *. १६०००) १७-कार्तिकेय "भावलींगी' बनकर शुभ गति में गये। (दि० पं० न्यामतसिंहहत भ्रमनिवारण पृ• १) दिगम्बरः शूद्र अगर दिगम्बर मुनि हुआ तो मोक्ष के योग्य है ही, किन्तु इतने दिगम्बरीय प्रमाण होने पर भी दिगम्बर समाज शद्रदीक्षा और शुद्रमुक्ति का निषेध क्यों करती है। जैन-इस शंका का समाधान दिगम्बर विद्वान इस प्रकार करते हैं -अतः दिगम्बराम्नाय के चरणानुयोग में शूद्रों को मुक्ति निषेध की जो व्यवस्था बांधी है, और शूद्र क्षुल्लकों के अलहदा बैठ कर एक लोहे के पात्र में आहार लेने की रीति पर आग्रह है, वह पीछे के प्राचार्यों का अपने देश और समय के अनुसार (हिन्दुओं की प्रसन्नता के अनुकूल पृ० २५) चलाया हुश्रा व्यव. हार है न कि जैनधर्म का विश्वव्यापी सिद्धान्त । (दि. विद्वान् भर्जुनहगल सेठी कृत शूद्रमुक्ति पृ० १७) २-चाण्डाल के दर्शन से ब्राह्मण और वैश्य स्त्रियां अपने नेत्र धोती थीं और उन्हें मरवाती थीं। ( चित्तसंभूत जातक बौद्ध प्रन्थ) वेद का शब्द सुन लेने वाले के कानों में कीले ठोक दिये जाते थे (मातंग जातक, सद्धर्म जातक)" , .
SR No.022844
Book TitleShwetambar Digambar Part 01 And 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanvijay
PublisherMafatlal Manekchand
Publication Year1943
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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