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की हहियों के भूषणवाले भस्म से भद मैले श्मशानी (१६) काले अजीन और चमड़े के वस्त्रवाले, काल बाकी (१८) श्वपाकी भंगी (1)
(II जिमसेनकृत हरिवंश पुराण, सर्ग २६ मे १ से २४) ३-कियत्काले गते कन्या, मासाच जिनमन्दिरम् । ... सपर्या महत्ता चक्रु-मनोवाक्कायशुद्धितः ॥ ५६ ॥
(गौतमचरित्र अधिक पलो ५६ तीन शुद्ध कम्पा का पूजा पाठ) "-धनदत्त ग्वाले ने जिनमन्दिर में जिनप्रतिमा के चरणों पर कमल पुष्प चढ़ाया। (भाराधनाकभाकोष, कथा )
५-सोमदत्त माली प्रतिदिन जिनेन्द्र भगवान की पूजा करता था ।
.......(भाराधनाकथाकोष) दिगम्बर- क्या दिगम्बर शास्त्र में शुद्रों की मुनि दीक्षा मौर मुक्ति का विधान है?
जैन-हांजी है ! कुछ २ पाठ देखिय१-नापि पंचमहानतग्रहणयोग्यता उच्चैर्गोत्रेण क्रियते,
(पट खंग, सं० ४ भ० ५ सू. १२६ की धवला टीका)
.. यदि यह कहा जाय कि उच्च गोत्र के उदय से पांच महाव्रतों के ग्रहण की योग्यता उत्पन्न होती है और इसी लिये जिनमें पांच महावत के ग्रहण की योग्यता पाई जाय उन्हें ही उच्च गात्री समझा जाय, तो यह भी ठीक नहीं है।
(दि० पं. जुगलकिशोर मुख्तारमी का लेख, भनेकान्त वर्ष २,किरण २.. पृ०११)
२-अकम्मभूमियस्स. पड़िवज्जमाणस्स, जहएण्यं संजम- डायमणंतगुणं (चर्णि सूत्र ) .......
(पखंडागम संजमकडि भधिकार, चणि )