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द्वितीय अध्याय अर्थ का महत्त्व और उत्पादन के साधन अर्थशास्त्र की परिभाषा
अर्थशास्त्र में व्यक्ति के व्यावसायिक जीवन से सम्बन्धित उन कार्यों का अध्ययन किया जाता है जो धन के उपार्जन और उपभोग से सम्बन्धित हों। कौटिल्य ने मनुष्य की वृत्ति को, अर्थ और भूमि को प्राप्त करने तथा उसके पालन करने के उपायों को अर्थशास्त्र कहा है। पाश्चात्य अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्र को धन का विज्ञान माना है । आधुनिक अर्थशास्त्रीय सिद्धान्तों के जन्मदाता एडम स्मिथ के अनुसार अर्थशास्त्र से किसी राष्ट्र के धन का अध्ययन-परीक्षण हो सकता है। स्टुअर्ट मिल के अनुसार अर्थशास्त्र मनुष्य से सम्बन्धित धन का विज्ञान है । एलफर्ड मार्शल ने अर्थशास्त्र को जीवन के साधारण व्यवसाय में मानव जाति का अध्ययन कहा है। वह व्यक्तिगत तथा सामाजिक क्रियाओं के उस भाग की जाँच करता है जिसका सम्बन्ध भौतिक साधनों की प्राप्ति तथा उनके उपयोग से हो।
जैन परम्परा में अर्थशास्त्र के उल्लेख ___ जैन ग्रंथ निशीथचूणि में धन अर्जन करने की प्रक्रिया को ‘अट्ठप्पत्ति' अर्थात् अर्थप्राप्ति कहा गया है ।" प्रश्नव्याकरण से ज्ञात होता है कि उस काल में 'अत्थसत्थ' अर्थात् अर्थशास्त्र विषयक ग्रन्थ लिखे जाते थे। बहत्कल्पभाष्य में कहा गया है कि आजीविका अर्जन के लिये गहस्थ 'अत्थसत्थ' का अध्ययन करते थे। नंदीसूत्र में कहा गया है कि १. "मनुष्याणां वृत्तिरर्थः तस्या पृथिव्यालाभपालनोपायः शास्त्रमर्थशास्त्र इति",
कौटिलीय अर्थशास्त्र, १५/१/१८० २. स्मिथ एडम, वेल्थ आफ नेशन्स, ३/१. ३. मिल, जान स्टुअर्ट, प्रिन्सिपल्स आफ पोलिटिकल इकोनोमी, १/१. ४. मार्शल एलफर्ड, प्रिन्सिपल आफ इकोनोमिक्स, १/२. ५. निशीथचूणि, भाग ४/गा० ६३९७ (अठ्ठप्पत्ती ववहारो). ६. प्रश्नव्याकरण ५/४. ७. बृहत्कल्पभाष्य, भाग १/पृ० ३८८.