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382 / Jijnasa
सवाई राजा सूरसिंहजी ये मोटा उदयसिंहजी के पुत्र एवं राव मालदेवजी के पौत्र थे। इनका राज्याभिषेक वि.सं. 1652 में हुआ। इन्होंने संवत् 1663 में जोधपुर नगर के चांदपोल दरवाजे के बाहर 'सूरसागर' नामक तालाब बनवाया। इसके तट पर एक सुन्दर बगीचा एवं संगमरमर की बारादरी और महल बनवाये। बालसमन्द बाग के फाट के पास एक बावड़ी बनवाई जो “हरबोलों की बावड़ी" कहलाती है।15
चांदपोल के बाहर ही उन्होंने रामेश्वर महादेव मंदिर एवं “सूरज कुण्ड नामक बावड़ी" बनवाई। इनकी कछवाई रानी सौभागदेवीजी ने दईझर नामक गांव में “सोभाग सागर" तालाब बनवाया। ये महाराजा गजसिंहजी (प्रथम) की माताजी थी।। 4
सवाई राजा सूरसिंहजी के पुत्र एवं उत्तराधिकारी राजा गजसिंहजी (प्रथम) ने वि.सं. 1676 में मारवाड़ राज्य की राजगद्दी संभाली। इन्होंने अपने समय में आनन्दघनजी का मंदिर, तलहटी के महलों में अनेक नये महल तथा सूरसागर में कुआं बनवाया।15
इनकी सातवीं रानी वाघेली श्री कुसुमदेजी ने कागड़ी का तालाब बनवाया। अनारा की बावड़ी इनकी पासवान अनारा ने बनवायी। इसके सामने ही सुगंधा बावड़ी है, जिसे सुगंधा नामक पड़दायत ने बनवाया था।
महाराजा जसवन्तसिंहजी (प्रथम) ने अपने पिता महाराजा गजसिंहजी (प्रथम) के उत्तराधिकारी के रूप में वि.सं. 1695 में जोधपुर की राजगद्दी संभाली। इन्होंने औरंगाबाद के बाहर पूर्व की तरफ जसवन्त सागर नामक तालाब बनवाया। इसी तालाब के तट पर इनके रहने के महल थे।17
इनकी रानी हाडीजी ने “राईका बाग” व “हाडी पुरा” बसाया तथा “कल्याण सागर” नामक तालाब बनवाया जो इस समय “रातानाडा" के नाम से विख्यात है।17
इनकी रानी शेखावतजी ने "शेखावतीजी का तालाब” बनवाया था, जो आज भी रिसाला रोड़ आगे विद्यमान है।17 राणीमंगा भाटों की बही सं. 1724 के अनुसार इनकी प्रथम रानी श्री अनरंगदे शेखावतजी ने शहर के पूर्व की ओर पहाड़ी पर तालाब खुदवाया।
महाराजा अजीतसिंहजी ने महाराजा जसवन्तसिंहजी के उत्तराधिकारी के रूप में संवत् 1765 में मारवाड़ की राजगद्दी संभाली। इन्होंने जोधपुर के गढ़ में कई निर्माण एवं मरम्मत के कार्य करवाये। मण्डोर के बाग में इकथंबा महल व जनाना के लिये 23 कोठरियों का निर्माण करवाया तथा हौद बनवाया। भैरूजी की प्राचीन बावड़ी की मरम्मत भी करवाई। साथ ही में महाराजा जसवन्तसिंहजी का देवल करवाया तथा कई मंदिर बनवाये। इनके अतिरिक्त “धाय की बावड़ी" करवाई। इनके समय अन्य भी कई झालरे एवं बावड़ियां बनवाई गईं जिनका उल्लेख "मारवाड़ रा परगणां री विगत भाग-1' में है।18
रानी जै कंवरजी तुंवरजी ने गोल घाटी के पास झालरा बनवाया “तुंवरजी का झालरा",
राणीमंगा बही के अनुसार उनकी राणी श्री बदनकंवरजी जाड़ेजी (नवानगर) ने चांदपोल के बाहर ‘झालरे' का निर्माण करवाया जो “जाड़ेची का झालरा" कहलाता है।
महाराजा अभयसिंहजी जो महाराजा जसवन्तसिंहजी (प्रथम) के पौत्र एवं महाराजा अजीतसिंहजी के बड़े पुत्र थे, का मारवाड़ राज्य की राजगद्दी पर राज्याभिषेक संवत् 1781 में हुआ। इन्होंने किले में चौकेलाव का कुआं, बाग और फतहपोल बनवाई। जोधपुर शहर का परकोटा कागा के पहाड़ से मेड़तिया दरवाजा तक करवाया। इसके अलावा "अभय सागर तालाब" (चांदपोल के बाहर) अठपहलू कुआं और महल आदि बनवाये।19
अन्य जलाशयों का निर्माण इनके द्वारा करवाया उसका विवरण इस प्रकार है- “नवलखौ बेरो कुओं उदयमंदिर के पास। देवकुण्ड तालाब-गोल ऊपर है। भवानी सागर तलाब। चौखां गांव के कोट में कुआं, रावतों की बावड़ी।" 20