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नेमि-विज्ञान-ग्रन्थरत्न ४
" नमोत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स" सिरिरुद्रपल्लीयसंघतिलयायरिअविरइआ सम्मत्तसत्तरिवित्तीओ उद्विआ वयणसुद्धिउपरि
॥पंडिअधणवालकहा॥
संपायगोदीसविक्खाय-सवरसमयपारावारपारीण-मरिचकचकवट्टि-जगगुरु-तित्थोद्धारग-जइणायरिअ-सिरिविययमिसूरीसरपट्टालंकार-परमपुज-सासणप्पहावग-समयण्णु-संतमुत्ति-आइरिअसिरिविययविन्नाणसूरीसविणेयपाइअसाहिच्चगुरु-सिद्धंतमहोदहि उवज्झायकत्थूरविजयगणिणो अंतेवासी मुणिजसमहवियओ।
पगासगो-मूरिअपुरीयबहुचच्चरसिरिसंघो। मुद्दगो-मोहणलाल मगणलाल बदामी, धी " जइणाणंद" मुद्दणालओ दरिया महेल-सूरियपुर। वीर सं. २४६७
मुल्लं अमुलं।
वि. सं. १९९७ MAXXXXXX
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