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________________ मलउपशम क्षयउपशम क्षयथी, जे होय त्रिविध अभंग ।। सम्यग्दर्शन तेह नमीजे, जिन धर्मे दृढ रंग रे । भविका ! सिद्ध ॥२॥ पंच वार उपशमिय लहीजे, क्षयउपशमिय असंख्य । एक बार क्षायिक ते समकित, दर्शन नमिये असंख रे । भविका ! सिद्ध ॥३॥ जे विण नाण प्रमाण न होवे, चारित्र तरु नवि फलियो । सुख निर्वाण न जे विण लहिये, समकित दर्शन बलियो रे ॥ भविका ! सिद्ध ॥४॥ सडसट्ट बोले जे अलंकरियो, ज्ञान चारित्रनुं मूल । समकित दर्शन ते नित्य प्रणमुं, शिवपंथनुं अनुकूल रे । भविका ! सिद्ध ॥५॥ ढाल शम संवेगादिक गुणा, क्षय उपशम जे आवे रे । दर्शन तेहिज आतमा, शुं होय नाम धरावे रे ॥वीर-१॥ सम्यदर्शनपदकाव्यम् । जं अत्थिकायेसु खु सद्दहाणं, तं दसणं सव्वगुण प्पहाणं । कुग्गाह वाहीउ वयतिजेणं, जहा पीएण में खु रसायणेणं ।१। विमलकेवलभासनभास्कर मंत्रः - ॐ ह्रीँ श्री परमपुरुषाय, परमेश्वराय जन्मजरामृत्युनिवारणाय श्रीमते सम्यग्दर्शनाय जलादिकं यजामहे स्वाहा । सप्तम श्री सम्यग्-ज्ञानपद पूजा काव्यम् इन्द्रवज्रा-वृत्तम् अन्नाण-संमोह-तमोहरस्स, नमो नमो नाण-दिवायरस्स पच्चप्पयारस्सुवगारगस्स, सत्ताण सव्वत्थ पयासगस्स ॥१॥ भुजंगप्रयात-वृत्तम् होये जेहथी ज्ञान शुद्ध प्रबोधे, यथावर्ण नासे विचित्रावबोधे । तेणे जाणिये वस्तु षड् द्रव्य भावा, न होवे वितत्था निजेच्छा स्वभावा ॥१॥ होय पंच मत्यादि सुज्ञान भेदे, गुरुपास्तिथी योग्यता तेह वेदे । वली ज्ञेय हेय उपादेय रुपे, लहे चित्तमां जेम ध्वांत प्रदीपे ॥२॥ -499
SR No.022757
Book TitleNavpad Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmityashsuri
PublisherSohanlal Anandkumar Taleda
Publication Year2005
Total Pages654
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size38 MB
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